CDS बिपिन रावत त्वरित निर्णय लेने की काबिलियत और ले लेने के बाद उस पर हर हाल में टिके रहने को जीवन का बेहद महत्वपूर्ण अनुशासन थे।
कुछ साल पहले इंडियन आर्मी में ऑफिसर बनने के लिए तैयारी कर रहे छात्रों को उन्होंने अपना व्यक्तिगत अनुभव बताया था.
अपने सैन्य करियर में उपलब्धियों की एक लम्बी लिस्ट छोड़ गए हैं, निर्णय लेकर उस पर सख्ती से बने रहना उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा था।
कुछ साल पहले इंडियन आर्मी में ऑफिसर बनने के लिए तैयारी कर रहे छात्रों को अपना व्यक्तिगत अनुभव बताकर उस घटना का जिक्र किया था, जब वो युवा थे और सेना में अफसर बनने के सपने देख रहे थे. 
ब्रिगेडियर रैंक के ऑफिसर मेरा इंटरव्यू लेने वाले थे. एक युवा छात्र के रूप में, जैसा कि आप सभी लोग हैं। उन्होंने मेरी हॉबी पूछी, बताया - ट्रेकिंग
उसके बाद मेरे सामने एक सवाल रखा, पूछा- यदि आपको 4 से 5 दिन की ट्रैकिंग पर जाना हो, तो आप एक सबसे महत्वपूर्ण सामान का नाम बताइए जो अपने पास रखना चाहेंगे ?
जवाब में युवा छात्र बिपिन रावत ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में वे अपने पास माचिस की डिब्बी रखना चाहेंगे. इंटरव्यू में फिर सवाल पूछा कि सबसे जरूरी वस्तु के रूप में माचिस को ही क्यों चुना?
बिपिन रावत ने अपने उत्तर को तर्कों से सही ठहराते हुए इंटरव्यू में कहा, अगर मेरे पास माचिस की डिब्बी है तो मैं ट्रैकिंग के दौरान इस एक चीज से कई काम कर बहुत सारी गतिविधियों को अंजाम दे सकता हूँ।
इंटरव्यू ले रहे ब्रिगेडियर ने उन्हें समझाने और दबाव डालने की कोशिश की कि आखिर माचिस क्यों ? कोई और चीज क्यों नहीं ?
लेकिन ट्रैकिंग जैसी परिस्थितियों में माचिस को सबसे महत्वपूर्ण चीज के रूप में ले जाने के निर्णय पर बिपिन रावत विनम्रता से अडिग रहे...
बिपिन रावत ने आगे छात्रों से कहा था कि पता नहीं उस ऑफिसर के दिमाग में मेरे जवाब से क्या असर हुआ, लेकिन नेशनल डिफेंस एकेडमी NDA के लिए मेरा चयन हो गया।
बिपिन रावत ने कहा था कि मैंने पहली बार जवाब के रूप में जो माचिस का जिक्र किया और उनके दबाव के बावजूद उस फैसले पर टिका रहा, यह यही वजह रही कि कहीं न कहीं मेरे सेलेक्शन के पीछे इस जवाब की भूमिका रही।
आज भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी ये सीख भारत के लाखों युवा मिलिट्री कैडेट के लिए प्रेरणा वाक्य जैसी बन गई है।