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जिला अस्पताल की एमआरआई अौर सीटी स्कैन मशीन खराब, मरीज परेशान

उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिये लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन जिम्मेदार अपनी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं।

जिला अस्पताल की एमआरआई अौर सीटी स्कैन मशीन खराब, मरीज परेशान
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जिला अस्पताल की एमआरआई अौर सीटी स्कैन मशीन खराब, मरीज परेशान

कानपुर । उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिये लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन जिम्मेदार अपनी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं। जिसके चलते जिला अस्पताल उर्सला में छह माह से एमआरआई मशीन और तीन माह से सीटी स्कैन खराब पड़ी हुई है। जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और प्राइवेट जगहों से जांच कराने को मजबूर हैं। वहीं, जिम्मेदार यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि शासन को पत्र लिखा गया है और बजट न होने के चलते मशीनें सही नहीं हो पा रही हैं।

जिला अस्पताल उर्सला में मरीजों की समस्या को देखते हुये दो साल पहले तत्कालीन सपा सरकार ने 15 करोड़ रुपये की लागत से एमआरआई मशीन का प्रोजेक्ट लगाया था। इस प्रोजेक्ट को सीमेंस कंपनी ने पूरा किया था। जिसके बाद से यहां पर आने वाले मरीजों का काफी सहूलियतें मिलने लगीं। पर जिम्मेदारों की लापरवाही से शासन के अनुरूप मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। जब से यह मशीन लगी, तब से लेकर आज तक कई बार खराब हुई और हर बार अस्पताल के जिम्मेदार बजट का रोना रोते हैं।

इसी क्रम में पिछले छह माह से यहां की एमआरआई मशीन खराब पड़ी हुई है। इसके साथ ही तीन माह से सीटी स्कैन मशीन भी खराब पड़ी हुई है। जिससे यहां पर आने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, डाक्टरों की भी मजबूरन मरीजों को बाहर से एमआरआई लिखना पड़ रहा है। जिससे मरीजों को बाहर कई जांच के लिए गुना रूपया खर्च करना पड़ रहा है।

दोनों मशीनों को चलाने वाले डॉक्टर आरसी भट्ट का कहना है कि निदेशक को कई बार पत्र लिखा गया है। इन मशीनों को चालू कराने के लिये पहल करें। लेकिन आगे क्या होता है मुझे पता नहीं है। वहीं, सूत्रों का कहना है कि निदेशक डॉ. उमाकांत शासन को पत्र ही नहीं लिखते हैं। ऐसे में मरीजों की जेब पर लगातार डाका डाला जा रहा है।

डॉ. आरसी भट्ट के मुताबिक, अस्पताल में रोजाना 25 से 30 मरीज एमआरआई जांच के लिये आते हैं। सीटी स्कैन के लिये मरीजों की संख्या लगभग 45 से 50 के बीच रहती है। इस मामले में बुधवार को निदेशक डॉ. उमाकांत से बात की गयी तो उन्होंने बताया, एमआरआई मशीन की ठीक करने वाली कंपनी का 35 लाख रुपये बकाया चल रहा है। इसलिए उसने मेटीनेंस बंद कर दिया है। शासन को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे मंजूर कर लिया गया है। जल्द की बजट रिलीज होते ही कंपनी की बकाएदारी अदा की जाएगी और मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी।

बताते चलें कि जिस कंपनी ने यहां पर एमआरआई मशीन लगाया है, उसका शुरुआत में ही एक करोड़ से अधिक का भुगतान रोक दिया गया था। जिससे कुछ महीनों बाद मशीन में गड़बड़ी आने के पर भुगतान किया गया। पर मेंटीनेंस का भुगतान फिर भी रोक लिया गया। इस प्रकार अब तक तीन बार मशीन में गड़बड़ी आई और हर बार की भांति अभी भी कंपनी को करीब 35 लाख रुपये का भुगतान करना है।

मशीन ठीक कराने में करोड़ों खर्च

उर्सला अस्पताल की एमआरआई मशीन लगातार छह माह से खराब पड़ी हुई है। जिसको लेकर अस्पताल के ही एक विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मशीन में करोड़ों का खर्चा है। बताया कि कोई भी एमआरआई मशीन लगातार एक माह तक बंद रहती है तो हीलियम गैस के रिसाव की संभावना रहती है। इससे मशीन का मैगनेट खत्म हो जाएगा और यूपीएस भी गड़बड़ा सकता है। ऐसे में मैगनेट रीजेनरेट करना काफी महंगा होता है और यह खर्चा करोड़ों में होने की संभावना है।





Updated : 4 July 2018 6:42 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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