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इस बार होली पर चीन को टक्कर देंगी गांव की गरीब महिलाएं

इस बार होली पर चीन को टक्कर देंगी गांव की गरीब महिलाएं
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- स्वावलंबन की दिशा में बड़ा कदम, आजीविका समूह की महिलाएं तैयार कर रहीं हर्बल अबीर-गुलाल, जो पूरी तरह सुरक्षित

- पालक, चुकंदर एवं अन्य सब्जियों से महिलाएं बना रही हैं गुलाल, एक किलो पर मात्र 150 रुपये आ रही लागत

आजमगढ़/रणविजय सिंह। दीपावली के बाद अब होली पर जिले की महिलाएं चाइनीज उत्पादों को टक्कर देती नजर आएंगी। यहां महिलाओं ने स्वावलंबन की तरफ एक और कदम बढ़ाते हुए हर्बल अबीर व गुलाल तैयार किया है। महिलाओं द्वारा तैयार किया गया यह गुलाल चर्चा का विषय बना हुआ है। महिलाओं का मानना है कि यह उत्पाद उन्हें न सिर्फ आर्थिक समृद्धि देगा बल्कि विदेशी कास्मेटिक उत्पादों से लोगों को बचाने के साथ ही स्वदेशी को बढ़ावा देगा। साथ ही पूरे जिले में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

बता दें कि दीपावली पर्व से पूर्व जिले की महिलाओं ने गाय के गोबर व अन्य घरेलू सामानों से लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा व दीपक बनाया था। उनका यह प्रयोग काफी सफल हुआ था। दीपावली प्रांत पर इन उत्पादों की मांग पूरे देश में देखने को मिली थी। महिलाएं आन लाइन ब्रिकी के जरिये अच्छा कारोबार करने में सफलता हासिल की थी। देशी उत्पादों में लोगों की रुचि से चाइनीज उत्पादों की बिक्री काफी प्रभावित हुई थी। इससे प्रधानमंत्री के स्वदेशी अभियान को भी बल मिला था। अब ठेकमा ब्लॉक के ऊसरी खुर्रमपुर की राम आजीविका समूह से जुड़ी महिलाओं ने होली का त्योहार नए ढंग से मनाने का फैसला किया है। इसके लिए वे हर्बल अबीर व गुलाल बना रही हैं। हर्बल गुलाल बनाकर राजभर बस्ती की आधी आबादी आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन का रास्ता प्रशस्त कर रहीं हैं। गांव की बविता का कहना है कि कोरोना काल में सभी के सामने आर्थिक संकट बढ़ा है। उनके परिवार की जीविका श्रम पर निर्भर है, लेकिन प्रतिदिन काम नहीं मिल पा रहा है। जमीन कम होने के कारण कृषि से भी वे आमदनी नहीं कर सकते है। ऐसे में गृहस्थी की गाड़ी चलती रहे इसलिए उन्होंने अनीता राजभर के नेतृत्व में काम करने का फैसला किया।

अनीता के साथ महिलाएं राष्ट्रीय आजीविका मिशन के ठेकमा इकाई से संपर्क किया। उसके बाद राम आजीविका संगठन का गठन किया। इसके बाद गांव की ही दर्जन भर महिलाओं को सदस्य बनाया गया। इसके बाद ठेकमा में जाकर समूह की सखियों से कम खर्च में हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के बाद उन्होंने काम शुरू कर दिया। अब उनका उद्देश इसे बाजार में पहुंचाना है।

महिलाओं ने बताया कि एक किलो हर्बल गुलाल बनाने में करीब 150 रुपये खर्च आ रहा है। गुलाल को बनाने में वे पालक, चुकंदर, सिंदूर आदि का उपयोग करती है। इस गुलाल के प्रयोग से किसी तरह का त्वचा को नुकसान नहीं होगा। इसलिए क्षेत्र के लोग भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि लोगों को हर्बल गुलाल के फायदे को समझाएं ताकि लोग इन्हें अपनाएं। वैसे भी यह उत्पाद चाइना आदि से आने वाले गुलाल से सस्ते हैं। ऐसे में उन्हें भरोसा है कि यह लोगों को पसन्द आएगा।

Updated : 11 March 2021 11:51 AM GMT
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