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हृदयनारायण दीक्षित बोले - सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आधार पर प्रदेश को वैभवशाली बनाना

हृदयनारायण दीक्षित बोले - सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आधार पर प्रदेश को वैभवशाली बनाना
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि हम सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आधार पर प्रदेश को वैभवशाली बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक समय था जब जनता अपने अधिकारों के लिए कार्यालयों का चक्कर लगाती थी। आज सरकार खुद जनता के द्वार तक जाने का काम कर रही है। यह सीधा बदलाव लोगों को बड़ा उल्टा दिखलाई पड़ रहा है। वह गोमती नगर में शनिवार को एक होटल में हमारे सपनों का भारत विषय पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।

विधानसभाध्यक्ष ने कहा, प्रदेश देश की समृद्धि में अपना योगदान देने के लिए तैयार खड़ा है। देश की संस्कृति और साहित्य में प्रदेश का योगदान हमेशा रहा है। सूरदास, कबीरदास और अन्य विचारकों की यह भूमि है।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र उत्तर प्रदेश की धरती से ही आगे बढ़ा है। भारतीय संस्कृति के आचार, व्यवहार, ज्ञान, प्रज्ञान और विचार की उपस्थिति श्रीराम के अंदर वाल्मीकि ने इसी धरती पर बताया है।

राष्ट्रवादी विचारधारा के बावजूद यहां की राजनीति गलत दिशा की ओर गई। जिसके चलते हालात खराब हुए। राजनीति भारतीय चिंतन में लोकमंगल का अधिष्ठान रही है। यहां की राजनीति में पार्टी प्रॉपर्टी के रूप में धौंस जमाने लगी है। राजनीतिक शक्तियों ने लोकतंत्र को निजी संपत्ति बनाने का प्रयास किया।

कांग्रेस पार्टी वंशानुगत रूप से दाखिल खारिज होती चली गई। जवाहरलाल नेहरू से पार्टी की प्रॉपर्टी आज राहुल गांधी के नाम पर दर्ज हो चुकी है। वैसी ही एक पार्टी इटावा से चली, जिसका अभी सबने मनोरंजन लिया। बर्बरता और सभ्यता में जब झगड़ा होता है, तो बर्बरता जीत जाती है। उसी को हम संक्षेप में इटावा प्रत्यय कह सकते हैं। वहीं एक ओर राष्ट्रवादी हैं, जो नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि को ध्येय मानते हैं।

जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, अटलविहारी वाजपेयी, सोनिया गांधी, राजनाथ सिंह और अब नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश ने लोकसभा को चुनकर भेजा। हम सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आधार पर जनता को वैभवशाली देखना चाहते हैं।

पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बदलाव आया है। अब नियत पर शक करने के दिन चले गए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश भारतीय संस्कृति का सबसे बेहतर नमूना है। यहां आपको विरोधाभाष देखने को मिल सकते हैं। हरियाणा महाभारत तो उत्तर प्रदेश रामायण मॉडल का बेहतरीन उदाहरण है। उत्तर प्रदेश प्रश्न प्रदेश नहीं है, इसका नाम ही उत्तर प्रदेश है। उत्तर प्रदेश में वामन अवतार हुआ था। हम लोग तीन डग में यहां की समस्याएं नापने और समाधान तलाशने का प्रयास किया जाएगा। सत्र का संचालन राकेश त्रिपाठी ने किया।

Updated : 21 July 2018 2:05 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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