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अमर-शिवपाल की 'नई पार्टी' अखिलेश व माया का करेगी खेल खराब!

अमर-शिवपाल की नई पार्टी अखिलेश व माया का करेगी खेल खराब!
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नई दिल्ली। भाजपा व उसकी सरकारें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की शोक यात्रा की तरह 15 दिवसीय शोक को भी नहीं बिसरने वाला बनाने के लिए हर उपक्रम में जुटी हुई हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वाजपेयी की जन्मभूमि, कर्मभूमि रही म.प्र., छत्तीसगढ़ और उ.प्र.में राजनीतिक दांवपेंच शोकसुप्त है। वाजपेयी के महाप्रयाण को बहुत बड़े स्तर पर प्रचारित करके, उनसे जुड़े स्थलों को उनकी स्मृति स्थल बनाकर, उनके नाम से तमाम योजनाएं शुरू करके, भाजपा व संघ के लिए छोटे-छोटे शक्ति श्रोत तो बना ही रही है, पार्टी से नाराज चल रहे ब्राह्मणों को इसके मार्फत लुभाने, मनाने, पटाने की भी कोशिश कर रही है। साथ में अमर सिंह-शिवपाल जैसों को भी पुचकार रही है। सपा सूत्रों का कहना है कि इसी का नतीजा है कि शिवपाल सिंह यादव अब अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव की नाराजगी की परवाह नहीं करके अमर सिंह के साथ मिलकर नई पार्टी बनाने की डेढ़ वर्ष से निलंबित योजना को फिर से शुरू कर दिये हैं। उसमें बलिया के भूमिहार नेता नारद राय व उनका पुत्र और गाजीपुर के राजपूत ओमप्रकाश के भी जाने की चर्चा है। ओमप्रकाश को गाजीपुर के यादव नेता रामकरन यादव के विरोध के बावजूद अमर सिंह ने मुलायम सिंह यादव पर दबाव बनाकर मंत्री बनवाया था, जिसमें मोहन सिंह और एक राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक के सम्पादक व एक अन्य व्यक्ति ने भी मदद की थी। लेकिन मंत्री बनने के बाद ओमप्रकाश (सिंह ) ने "भईल विवाह मोर करबो का" की तर्ज पर मदद करने वाले सबको उसी तरह से विसार (भुला) दिया जैसे आज के बहुत से चर्चित व सुपर पावरफुल नेताओं ने भाजपा में लालकृष्ण आडवाणी को विसार दिया है। उन्होंने पकड़ लिया उस शिवपाल को जो मुलायम सिंह यादव की सरकार में उनके (मुलायम ) बाद दूसरे नम्बर पर सबसे पावरफुल थे। सपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता का कहना है कि ओमप्रकाश उनके लिए हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराने का भी काम किये। मंत्री रहते इतना मालामाल हो गए कि क्षेत्र से लेकर राज्यभर में इसकी खूब चर्चा होने लगी। सपा कार्यकर्ता रामभज का कहना है कि आजमगढ़ के सपा नेता दुर्गा यादव, इलाहाबाद का अतीक अहमद भी अमर- शिवपाल वाली पार्टी में जा सकते हैं। ऐसे ही अन्य तमाम चर्चित ऐसे नेता जिनको मायावती ने या अखिलेश यादव ने अपनी-अपनी पार्टी से निकाल दिया है, किनारे लगा दिया है, इस पार्टी में जा सकते हैं। उनको अखिलेश की सपा व मायावती की बसपा के प्रत्याशियों का वोट काटने के लिए लोकसभा चुनाव में खड़ा किया जाएगा। एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि गोरखपुर, वाराणसी व इलाहाबाद सहित पूरे पूर्वांचल में इस बात की चर्चा है कि अमर सिंह कुछ खिचड़ी पका रहे हैं। यह चर्चा लखनऊ में राज्य सरकार के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अमर सिंह का नाम लेने के बाद से और जोर पकड़ ली है। बिना आग के धुआं तो निकलता नहीं है। इसलिए कुछ न कुछ तो चल रहा है। सपा के कार्यकर्ता भी मिलने पर इस बारे में बता रहे हैं।

इस मामले में सपा के कुछ नेताओं का कहना है कि चर्चित नेता आजम खान को शिवपाल पटाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वह इनके खेमे में आ जाएं। लेकिन मुश्किल यह है कि उनकी अमर सिंह से पटती नहीं है। जया प्रदा के बारे में आजम खान ने इतनी ज्यादा अपनी ऊर्दू विद्वता व शब्दों की बाजीगरी दिखाई है कि अमर जले-भुने बैठे हैं। पर सबको पता है कि राजनीति में कब कौन दुश्मन, कब कौन मित्र हो जाए, कहा नहीं जा सकता। इसमें सब कुछ संभव है। इस तरह अखिलेश की सपा व मायावती की बसपा के वोट कतरने की योजना के तहत अमर-शिवपाल की जोड़ी नई पार्टी बनाने के लिए जुट गई है।

Updated : 21 Aug 2018 12:11 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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