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सांस्कृतिक परम्पराओं की संवाहक है नारी

- रमन्ते तत्र देवता में दिखी नारी स्वाभिमान की झलक

सांस्कृतिक परम्पराओं की संवाहक है नारी
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- लोक संस्कृति शोध संस्थान ने सात महिलाओं को दिया नारी शक्ति सम्मान

लखनऊ। परिवार के केन्द्र में नारी है। परिवार के सारे घटक उसी के चतुर्दिक घूमते हैं, वहीं पोषण पाते हैं और विश्राम। वही सबको एक माला में पिरोये रखने का प्रयास करती है। किसी भी समाज का स्वरूप वहां की नारी की स्थिति पर निर्भर करता है। वह दया, करूणा, ममता, सहिष्णुता और प्रेम की पवित्र मूर्ति है। नारी का त्याग और बलिदान भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है। सीता, सावित्री, गार्गी, मैत्रेयी जैसी महान् नारियों ने इस देश को अलंकृत किया है। निश्चित ही महिला इस सृष्टि की सबसे सुन्दर कृति तो है ही, साथ ही एक समर्थ अस्तित्व भी है।

ये बातें लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा मंगलवार को आयोजित सांस्कृतिक प्रस्तुति रमन्ते तत्र देवता में वक्ताओं ने कहीं। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की रसमंच योजना के अन्तर्गत मिशन शक्ति के उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में हुए इस समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए सात महिलाओं को नारी शक्ति सम्मान प्रदान किया गया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ पुलिस महानिदेशक असित कुमार पांडा, संगीत विदुषी प्रो. कमला श्रीवास्तव, लोक विदुषी डॉ. विद्या विन्दु सिंह, वरिष्ठ लोकगायिका आरती पांडेय ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। डीजीपी असित कुमार पांडा ने कहा कि वर्तमान में महिलाएँ समाज सेवा, राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र-उत्थान के अनेक कार्यों में लगी हैं। महिलाओं ने अपनी कर्तव्य परायणता से यह सिद्ध किया है कि वे किसी भी स्तर पर पुरूषों से कम नहीं हैं। बल्कि उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपनी श्रेष्ठता ही प्रदर्शित की है। लोक विदुषी डॉ. विद्या विन्दु सिंह ने कहा कि जब भारतीय ऋषियों ने अथर्ववेद में 'माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः' अर्थात भूमि मेरी माता है और हम इस धरा के पुत्र हैं, की प्रतिष्ठा की तभी सम्पूर्ण विश्व में नारी-महिमा का उद्घोष हो गया था। लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि महिला सशक्तिकरण का राष्ट्रीय उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास का संचार करना है। मिशन शक्ति के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश सरकार ने नारी सुरक्षा, नारी सम्मान व नारी स्वावलम्बन के लिए उल्लेखनीय अभियान चलाया है जिसमें हम सभी को सहभागी होना चाहिए।

ये हुए सम्मानित : कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए सात महिलायें सम्मानित हुईं। संगीत साधना और संगीत शिक्षण में सुदीर्घ योगदान के लिए निवेदिता भट्टाचार्य, लोक संस्कृति संरक्षण-संवर्द्धन में अमूल्य योगदान के लिए सुमन पाण्डा, वैश्विक स्तर पर भारतीय सांस्कृतिक वैभव प्रदर्शन, कनाडा में रामलीला आयोजन व अभिनय में विशिष्ट योगदान के लिए सौम्या मिश्रा, लोक संगीत, लोक नृत्य, लोक चित्रकला एवं शिक्षा के क्षेत्र में महत योगदान के लिए कुसुम वर्मा, नारी सशक्तिकरण व समाज सेवा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए लखनऊ की पहली महिला पैरासेलिस्ट प्रीति एम. शाह, दिव्यांगजन सशक्तिकरण, समाजसेवा व लोक संस्कृति के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए डॉ. रीना मिश्रा, शास्त्रीय व लोक संगीत, हस्तशिल्प के प्रति अनुराग एवं समर्पण के लिए स्पेशल चाइल्ड रोली अग्रवाल को नारी शक्ति सम्मान प्रदान किया गया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन : संस्कृतिकर्मी राजेन्द्र विश्वकर्मा 'हरिहर' के संचालन में कार्यक्रम का शुभारम्भ स्वरा त्रिपाठी ने देवी गीत चलो दीयना बार एवं कोमल है कमजोर नहीं है... की प्रस्तुति दी। संगीत भवन की नव्या दवे, आकृति और श्रेया बिन्दल ने महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र अयिगिरिनन्दिनी पर नृत्य भाव प्रदर्शित किये। सुप्रसिद्ध नृत्यांगना एवं वल्र्ड रिकार्ड होल्डर अंकिता बाजपेयी ने यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। बाल नृत्यांगना वागीशा पन्त ने नारी तुम केवल श्रद्धा हो तथा नृत्य सम्राट बिरजू महाराज की कम्पोजिशन इठलाती बलखाती पर ईशा-मीशा ने युगल नृत्य प्रस्तुत कर सबकी तालियां बटोरीं। सुप्रसिद्ध लोक नृत्य गुरु ज्योति किरन रतन ने रानी लक्ष्मीबाई के रूप में जोरदार प्रस्तुति दी। इस दौरान नौ से पन्द्रह मार्च तक संस्थान द्वारा आयोजित आनलाइन होली गीत कार्यशाला के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किये गये। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के अध्यक्ष परमानंद पांडेय, गौरव गुप्ता, सौरभ कमल, रंजना शंकर, ऊषा पांडिया, सरदार कवलजीत सिंह, हेमलता त्रिपाठी, मंजू श्रीवास्तव आदि की प्रमुख उपस्थिति रही।

Updated : 16 March 2021 3:22 PM GMT
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