संस्कृति के वाहक हैं लोक गीत: अरविन्द शर्मा
लोक धुनों का संरक्षण समय की मांग: मालिनी अवस्थी
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आरती पाण्डेय की कृति मड़वे में बिराजे जुगल जोड़ी का लोकार्पण
लखनऊ, 14 मार्च। प्रधानमंत्री के पूर्व सचिव एवं विधान परिषद सदस्य अरविन्द कुमार शर्मा ने कहा कि लोक गीत संस्कृति के संवाहक हैं। संस्कार गीतों में भारतीय लोक परम्परा जीवन्तता के साथ विद्यमान है। वे आज निराला नगर स्थित जेसी गेस्ट हाऊस में आयोजित वरिष्ठ लोक गायिका आरती पांडेय की कृति मड़वे में बिराजे जुगल जोड़ी के लोकार्पण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित इस कृति में विवाह संस्कार के भोजपुरी गीतों को संकलित किया गया है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी, अवधविद् पद्मश्री डा. योगेश प्रवीन, संगीत विदुषी प्रो. कमला श्रीवास्तव, लोक साहित्य मर्मज्ञ डा. रामबहादुर मिश्र, लोक विदुषी डा. विद्याविन्दु सिंह, सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक श्रीविलासमणि त्रिपाठी, मुख्य अतिथि अरविन्द कुमार शर्मा की गौरवमयी उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।
लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि लोक धुनों का संरक्षण समय की मांग है। दादी-नानी ने लोक गीतों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को जीवित रखा है और उसे आगे बढ़ाने का कार्य हम लोगों का है। उन्होंने कहा कि अवधी और भोजपुरी की सेतु के रूप में आरती जी ने सुर के साथ ही कण्टेण्ट पर लम्बा कार्य किया है तथा पिछले पचास वर्ष से वे आकाशवाणी के साथ मिलकर जो अलख जगाई है, वह प्रशंसनीय है। मालिनी अवस्थी ने बाजत अवध बधइया तथा बेटी जन्म का सोहर सुनयना के हरस अपार सिया का जनम भयो... सुनाया।
पद्मश्री डा. योगेश प्रवीन ने कहा कि संस्कार गीतों के माध्यम से एक भरी-पूरी दुनिया से हमारा सामना होता है। सरल-सहज और मिठासभरी धुनों में रचे-पगे सैकड़ों गीत परंपरा से गलबाहें करते हमारी आत्मा में उतर जाते हैं।
डा. राम बहादुर मिश्र ने कहा कि संस्कारों की बात छिड़ती है तो सोलह संस्कारों में सबसे महत्वपूर्ण, जीवंत, स्थायी और उत्सवधर्मी सोपान के रूप में विवाह प्रसंग सामने आता है। गृहस्थ जीवन का ओर-छोर इसी परिणय-पर्व से अपना सुदूर विस्तार पाता है।
डॉ. अंजू भारती ने विवाह गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन कुसुम वर्मा ने किया। पूर्व विधायक बृजेश मिश्र सौरभ ने आगन्तुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया। वरिष्ठ साहित्यकार दयानंद पांडेय, संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष अच्छेलाल सोनी, पूर्णिमा पांडेय, वरिष्ठ लोक गायिका पद्मा गिडवानी, विमल पन्त, आकाशवाणी के अधिकारियों में मीनू खरे, डा. अनामिका श्रीवास्तव, डा. सुशील कुमार राय, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी समेत संगीत जगत की प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं।
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