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राजनाथ सिंह बने यूपी से रक्षा मंत्री बनने वाले आठवें राजनेता

राजनाथ सिंह बने यूपी से रक्षा मंत्री बनने वाले आठवें राजनेता
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लखनऊ। 17वीं लोकसभा के गठन में प्रधानमंत्री के बाद रक्षा मंत्रालय का अहम ओहदा भी उत्तर प्रदेश को मिला है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृह मंत्री का जिम्मा संभालने वाले लखनऊ से सांसद राजना​थ सिंह देश के नये रक्षा मंत्री बनाये गए हैं। इससे पहले 16वीं लोकसभा में भी रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्य रहे हैं, लेकिन लोकसभा सदस्य के रूप में लम्बे समय बाद उत्तर प्रदेश से किसी को रक्षा मंत्री बनाया गया है। इससे पहले तीसरे मोर्च की सरकार में मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश से अंतिम रक्षा मंत्री थे।

देखा जाए तो रक्षा मंत्रालय जैसा अहम विभाग देश में कई बार प्रधानमंत्रियों ने स्वयं अपने पास रखा है। लम्बे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस के नेताओं की संख्या इनमें ज्यादा है। राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश से आठवें नेता हैं, जो रक्षा मंत्री बनाये गये हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश के जिन नेताओं ने इस अहम ओहदे को संभाला है, उनमें प्रधानमंंत्री के रूप में इन्दिरा गांधी ने पहली बार 1975 में थोड़े समय के लिए और फिर दूसरी बार 14 जनवरी 1980 से 1982 तक रक्षा मंत्रालय अपने पास रखा।

इसके बाद राजीव गांधी ने अपनी सरकार में 1985 से 1987 तक रक्षा मंत्रालय का भी कामकाज देखा। इसके बाद उन्होंने 1987 में विश्वनाथ प्रताप सिंह को रक्षा मंत्री बनाया। वहीं 1987 से 1989 तक कृष्ण चन्द्र पंत ने रक्षा मंत्रालय का जिम्मा संभाला। उत्तराखण्ड के रहने वाले कृष्ण चन्द्र उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री गोविन्द वल्लभ पंत के पुत्र थे, जो तब अविभाज्य उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। इसके बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपने प्रधानमंत्री पद के कार्यकल 2 दिसम्बर 1989 से 10 नवम्बर 1990 तक रक्षा मंत्रालय को अपने पास रखा। उनके बाद प्रधानमंत्री बनने वाले चन्द्रशेखर ने भी ऐसा किया। वह प्रधानमंत्री रहते 10 नवम्बर 1990 से 21 जून 1991 तक रक्षा मंत्रालय का भी काम संभालते रहे। वहीं तीसरे मोर्चे की सरकार में मुलायम सिंह यादव 1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक देश के रक्षामंत्री रहे। इसके बाद मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर उत्तर प्रदेश से राज्यसभा भेजे गये।

रक्षा मंत्रालय के लिए बेहद अहम है डिफेंस कॉरिडोर

वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बात करें तो उन्हें यह पद ऐसे समय में मिला है, जब पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू हो रहा है। पाकिस्तान से भारत के रिश्ते अभी भी तल्ख हैं। ऐसे में रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी और भी अहम हो जाती है। उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर प्रोजेक्ट को भी तेजी से अमलीजामा पहनाना अहम है। इस कॉरिडोर पर 20 हजार करोड़ का निवेश और करीब 3 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में इसकी आधारशिला रख चुके हैं। इस डिफेंस कॉरिडोर का केंद्र बिंदु बुन्देलखंड है जो झांसी, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट व लखनऊ से होकर गुजरेगा।

बुन्देलखंड में डिफेंस कॉरिडोर आने से सेना के लिए हथियार व अन्य सामान बनाने वाली कम्पनियां उत्पादन यूनिट लगाएंगी। इससे स्थानीय क्षेत्र के लोगों को नौकरी के व्यापक अवसर मिलेंगे। ये कम्पनियां छोटे-छोटे प्रोडक्ट स्थानीय लोगों से ही खरीदेंगी। इस तरह रोजगार का दायरा भी बढ़ेगा। देश में जिस तरह सुरक्षा की चुनौती है, उस लिहाज से रक्षा उपकरण तैयार करने वाली विदेशी कंपनियों की तरह घरेलू उद्यमियों को भी यहां बराबर का सम्मान मिलेगा। डिफेंस-कॉरिडोर में बनने वाले सेना के उत्पादों को रक्षा मंत्रालय खरीदेगा।

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर आने वाले दस सालों में भारत की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित होगा और इसका बड़ा लाभ उत्तर प्रदेश को मिलेगा, क्योंकि डिफेंस कॉरिडोर के कारण यहां विभिन्न विकासपरक गतिविधियां संचालित होगी।

Updated : 1 Jun 2019 10:55 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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