विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात् । सं बाहुभ्यां धमति सं पतत्रैर्द्यावाभूमी जनयन्देव एकः ॥ यह वेदमंत्र जब भी पढ़ने में आया या सुनने में, हर बार इसकी अर्थ ध्वनि लम्बे समय तक उस...
18 Feb 2021 11:03 AM GMT
Read More