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शिक्षकों को सबसे ज़्यादा वेतन मिलना चाहिए ताकि ये राष्ट्र निर्माण कर सकें: सुप्रीम कोर्ट

शिक्षकों को सबसे ज़्यादा वेतन मिलना चाहिए ताकि ये राष्ट्र निर्माण कर सकें: सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली। बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन देने के मामले पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं आप इनसे इस तरह व्यवहार नहीं कर सकते हैं। पांच साल काम करने के बाद कोई कॉन्ट्रैक्ट पर नहीं रहता, वो परमानेंट हो जाता है। इस मामले पर अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी।

इस मामले पर पिछले तीन दिनों से लगातार सुनवाई चल रही है। आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों को सबसे ज़्यादा वेतन मिलना चाहिए ताकि ये राष्ट्र निर्माण कर सकें। एक अगस्त को सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने कहा था कि राज्य के नियोजित शिक्षकों के वेतन बढ़ोतरी से ज्यादा जरूरी है हर बच्चे को शिक्षा मुहैया कराना।

बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा था कि संविधान में संशोधन कर शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू किया गया। उन्होंने कहा था कि वर्ष 2002 से पहले राज्य से 23 लाख बच्चे स्कूली शिक्षा से बाहर थे लेकिन आज एक लाख से भी कम बच्चे स्कूलों से दूर हैं। ये तभी संभव हो पाया जब राज्य सरकार ने नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति की । राकेश द्विवेदी ने कहा था कि इन शिक्षकों की नियुक्ति 2006 से शुरू की गई थी। जहां पहले एक लाख शिक्षकों की नियुक्ति होती थी वहीं अब राज्य में करीब साढ़े तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। ये नियुक्तियां राज्य सरकार ने अपने बजटीय प्रावधानों से की थी।

राकेश द्विवेदी ने कहा था कि नियोजित शिक्षकों का वेतन हमेशा बढ़ता रहा है। उनका वेतन 15 गुना बढ़ाया गया है। जब ये शिक्षक नियुक्त हुए थे तो इनकी सैलरी 15 सौ रुपये थी जबकि अब इनका वेतन 25 हजार रुपये तक पहुंच गया है। राज्य सरकार हर साल इनकी सैलरी में बढ़ोतरी करेगी।

31 जुलाई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि जब योग्यता समान है तो समायोजित शिक्षकों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। बिहार सरकार ने कहा था कि राज्य सरकार आर्थिक रुप से सक्षम नहीं है कि इन शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन दे सके।

केंद्र सरकार ने भी अपने हलफनामे में बिहार सरकार के रुख का समर्थन किया । केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि ये समान कार्य के लिए समान वेटर की कैटेगरी में नहीं आते हैं। केंद्र सरकार ने कहा कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने पर केंद्र सरकार पर करीब 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा ।

Updated : 2 Aug 2018 8:41 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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