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सारदा चिटफंड घोटाला मामला : कुणाल घोष से पूछताछ, सत्तारूढ़ पार्टी के कई नेताओं को समन

सारदा चिटफंड घोटाला मामला : कुणाल घोष से पूछताछ, सत्तारूढ़ पार्टी के कई नेताओं को समन
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कोलकाता। अरबों रुपये के सारदा चिटफंड घोटाला मामले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों ने सोमवार को एक बार फिर तृणमूल के पूर्व राज्यसभा सांसद कुणाल घोष से पूछताछ की है। सुबह 9:00 बजे के करीब कुणाल घोष सीबीआई दफ्तर पहुंचे थे जहां उनसे पूछताछ शुरू की गई। करीब 4 घंटे तक उनसे अधिकारियों ने बातचीत की है एवं उनका बयान भी रिकॉर्ड किया है। सीबीआई सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मामले में कुणाल घोष अहम कड़ी रहे हैं। सारधा समूह ने मीडिया कारोबार में एक बड़ी धनराशि का निवेश किया था जिसके प्रमुख कुणाल घोष थे। इसके जरिए सत्तारूढ़ पार्टी का व्यापक तौर पर प्रचार-प्रसार किया गया था। नुकसान होने के बावजूद सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन ने मीडिया कारोबार को जारी रखा था| बाजार से आने वाले रुपयों के लेनदेन को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी के कई बड़े नेताओं को समन भेजने की तैयारी सीबीआई कर रही है। उसके पहले इससे जुड़े कई अहम तथ्यों को कुणाल घोष के जरिए नए सिरे से समझने की कोशिश की जा रही है।

400 करोड़ का हुआ था निवेश

एक अधिकारी ने बताया कि हालिया जांच में यह जानकारी मिली है कि सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन ने सत्तारूढ़ तृणमूल के बड़े नेताओं के दबाव में अरबों रुपये का निवेश मीडिया कारोबार में किया था। अब नए सिरे से पूछताछ शुरू कर उन नेताओं के बारे में पता लगाने की कोशिश तेज कर दी गई है। उन्होंने बताया कि 2008 से 2013 के बीच पश्चिम बंगाल सरकार के जांच अधिकारियों की ओर से जमा कराई गई रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि सुदीप्त सेन ने बाजार से वसूले गए अरबों रुपये का एक बड़ा हिस्सा मीडिया कारोबार में लगाया था। पूर्व राज्यसभा सांसद कुणाल घोष सारधा समूह के मीडिया कारोबार को देखते थे। उन्होंने पूछताछ में इस बात की पुष्टि की है कि तृणमूल के तत्कालीन बड़े नेताओं और मंत्रियों के दबाव में ही सुदीप्त सेन ने हिंदी, उर्दू, पंजाबी, नेपाली और असमिया भाषा में 18 मीडिया संस्थानों में निवेश किया था। इसमें अखबार और समाचार चैनल दोनों शामिल हैं। इससे समूह को लगातार घाटा हो रहा था। निवेश किए गए रुपये से कोई भी लाभ नहीं होने की वजह से कुणाल घोष ने केवल चार मीडिया कारोबारों को रखकर बाकी को बेचने का परामर्श दिया था लेकिन सुदीप्त सेन ने मानने से इनकार कर दिया था। उन्होंने बताया था कि दार्जिलिंग की पहाड़ों पर हुई पार्टी नेताओं की बैठक में इस बात का स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि इन सभी मीडिया संस्थानों में सारधा समूह को निवेश करना ही होगा। इसके जरिए समाचारों का संकलन तो जो होता था सो होता ही था, सत्तारूढ़ तृणमूल का जोर शोर से प्रचार प्रसार का काम चला एवं करीब 5 सालों के अंतराल में इसमें लगाए गए पैसे का कोई लाभ नहीं हुआ। प्राथमिक जांच में इस बात की जानकारी मिली है कि सारधा समूह ने बाजार से करीब ढाई हजार करोड़ रुपये उठाए थे जिसमें से 400 करोड़ रुपये मीडिया कारोबार में निवेश कर दिया था। इसके बाद समूह के आर्थिक लेन-देन का काम देखने वाले अमित मजूमदार से दोबारा पूछताछ शुरू की है। मजे की बात यह है कि अमिताभ मजूमदार तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। पूर्व में भी सीबीआई की टीम ने दिल्ली और सॉल्टलेक में उन्हें बुलाकर पूछताछ की है।

Updated : 3 Sep 2018 2:27 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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