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खुलासा : बिहार के 15 बालगृह यौन शोषण व हिंसा की गिरफ्त में - टीआईएसएस रिपोर्ट

खुलासा : बिहार के 15 बालगृह यौन शोषण व हिंसा की गिरफ्त में - टीआईएसएस रिपोर्ट
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नई दिल्ली। बिहार सरकार के आग्रह पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टीआईएसएस) की टीम ने बिहार के बालगृहों का एक सोशल ऑडिट किया था। इस दौरान टीआईएसएस की 'कोशिश' यूनिट ने बिहार के 38 जिलों में घूमकर करीब 110 बालगृहों की ऑडिट रिपोर्ट 27 अप्रैल, 2018 को समाज कल्याण विभाग को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में 15 बालगृहों में रहने वालों के उत्पीड़न और यौनशोषण पर उंगली उठाई गई है।

'कोशिश' मुख्यत: शहरी गरीबी पर काम करती है। मो. तारिक के मार्गदर्शन में काम करने वाली टीम में में कुल आठ सदस्य थे, जिनमें पांच पुरुष और तीन महिलाएं थीं। बिहार समाज कल्याण विभाग के मुख्य सचिव अतुल प्रसाद के मुताबिक टीआईएसएस की रिपोर्ट को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। वे क्रमशः 'बेहतर', 'प्रशासनिक लापरवाही' और 'आपराधिक लापरवाही' हैं। इसमें मुजफ्फरपुर स्थित एनजीओ 'सेवा संकल्प एवं विकास समिति' की गतिविधियों को आपराधिक लापरवाही की श्रेणी में रखा गया था।

'कोशिश' की यह रिपोर्ट 26 मई को समाज कल्याण विभाग ने अपने सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों को बुलाकर उनसे साझा की थी। विभाग ने अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया। इसके आधार पर पुलिस ने पहली प्राथमिकी 31 मई को मुजफ्फरपुर के 'सेवा संकल्प एवं विकास समिति' पर किशोर न्याय अधिनियम और पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया। फिर पुलिस ने 3 जून को इस संस्था से जुड़े ब्रजेश ठाकुर, किरण कुमारी, मीनू देवी, मंजू देवी, इंदु कुमारी, चंदा देवी, नेहा कुमारी और हेमा मसीह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

पुलिस ने इस बालगृह में रखी गई 44 में से 42 लड़कियों को पटना, मधुबनी और मोकामा के विभिन्न बालिका गृहों में स्थानांतरित कर दिया। कोशिश यूनिट के सदस्यों के अनुसार, जून में ही पटना पीएमसीएच ने मेडिकल परीक्षण में पाया था कि 42 में से 34 लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ था।

सेवा संकल्प एवं विकास समिति में रहने वाली कुछ लड़कियों ने पुलिस को दिए गए अपने बयान में बताया कि एक लड़की को वहां के कर्मचारियों ने बात न मानने पर पीट-पीटकर मार डाला था। बाद में उसे बालिका गृह परिसर में ही दफना दिया गया। सोमवार 23 जुलाई को मुजफ्फरपुर पुलिस बालिका गृह की खुदाई करने पहुंची। तब मामले ने तूल पकड़ लिया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने यह मामला सदन में उठाया। इसके बाद देश भर के मीडिया की नज़रें मुजफ्फरपुर की ओर मुड़ गईं।

हालांकि अब यह मामला सिर्फ मुजफ्फरपुर तक सीमित नहीं रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की उसी रिपोर्ट में बिहार के 14 और शेल्टर होम्स में उत्पीड़न की बात कह।

इस रिपोर्ट में सेवा संकल्प एवं विकास समिति, मुजफ्फरपुर (बालिका गृह) के बारे में कहा गया है कि बच्चियों के साथ गंभीर यौन उत्पीड़न और हिंसा की वारदात को अंजाम दिया गया है। मोतीहारी स्थित निर्देश (बाल गृह) के बारे में कहा गया है कि यहां भी बच्चों के साथ मारपीट होती है। यहां भी बच्चों के साथ यौन शोषण और हिंसा हो रही हैं।

उधर, भागलपुर स्थित रूपम प्रगति समाज समिति (बाल गृह) के बारे में कहा गया है कि ऑडिट टीम जब इसका मुआयना कर रही थी तो शिकायत पेटी की पड़ताल पर आरटीओ रेखा के खिलाफ कई शिकायत पाई गई। बच्चों ने हिंसा की कई वारदात का जिक्र किया था। साथ ही मुंगेर स्थित पनाह (बाल गृह) के बारे में कहा गया है कि इस गृह की अपनी कोई बिल्डिंग नहीं है। यह एक बैरक जैसे ढांचे में चलता है। निरीक्षक बालगृह के परिसर में ही रहता है। वह बच्चों से सफाई और खाना बनवाने का काम करवाता है। बच्चों के मना करने पर वह बच्चों को मारता-पीटता है।

गया स्थित दाउदनगर ऑर्गनाइजेशन फॉर रूरल डेवलपमेंट (डीओआरडी) (बालगृह) के बारे में रिपोर्ट कहती है कि संस्थान किसी कैदखाने की तरह और शोषणकारी माहौल में संचालित हो रहा है। पटना स्थित नारी गुंजन, मधुबनी स्थित आरवीईएसके व कैमूर स्थित ज्ञान भारती के बारे में भी संतोषजनक रिपोर्ट नहीं है । ये तीनों ही संस्थान दयनीय स्थिति में संचालित हो रहे हैं। अररिया स्थित ऑब्जर्वेशन होम के बारे में रिपोर्ट कहती है कि यह सीधे तौर पर सरकार द्वारा संचालित बाल गृह है। लड़कों की शिकायत है कि यहां बिहार पुलिस का एक गार्ड लड़कों के साथ 'गंभीर' मारपीट करता है।

बिहार सरकार की नाक तले पटना स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ खादी एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (आइकेआरडी) महिला अल्पावास गृह के लड़कियों ने भी हिंसा की शिकायत की है। खोई हुई लड़कियों को यहां रखा जाता है। पिछले साल एक लड़की ने रोजमर्रा की हिंसा से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।

हालांकि मोतीहारी स्थित सखी महिला अल्पावास गृह में मानसिक बीमारी से पीड़ित लड़कियों व महिलाओं के साथ भी शारीरिक हिंसा की बात सामने आई है। उधर, मुंगेर स्थित नोवेल्टी वेल्फेयर सोसायटी (महिला अल्पावास गृह) संस्था ने बिल्डिंग का एक हिस्सा किसी परिवार को किराये पर दे दिया है। यहां रहने वाली मानसिक रूप से बीमार महिला ऑडिट टीम की सदस्य को पकड़कर रोने लगी।

कोशी के कछार पर बसे मधेपुरा जिले में महिला चेतना विकास मंडल की ओर से संचालित महिला आवास गृह के हालात भी अच्छे नहीं हैं। वहां रहने वाली एक लड़की ने शिकायत में कहा कि उसे सड़क से जबरदस्ती उठाकर लाया गया है और उसे परिवार से संपर्क करने नहीं दिया जा रहा है।

कैमूर स्थित ग्राम स्वराज सेवा संस्थान की ओर से संचालित महिला अल्पावास गृह में भी लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत टीम से की थी। मुजफ्फरपुर स्थित ओम साईं फाउंडेशन की ओर से संचालित सेवा कुटीर में रहने वाली लड़कियों ने भी हिंसा की शिकायतें की हैं। गया स्थित सेवा कुटीर का संचालन मेटा बुद्धा ट्रस्ट की ओर से किया जाता है। यह वृद्धाश्रम है। यहां की हालत भी रिपोर्ट में ठीक नहीं बताई गई है। पटना स्थित कौशल कुटीर को संस्था डॉन बॉस्को टेक सोसायटी संचालित कर रही है। यहां की महिलाओं ने भी हिंसा की शिकायतें की हैं।

Updated : 5 Aug 2018 9:11 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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