Home > राज्य > अन्य > राजस्थान में कांग्रेस की हार का ठीकरा, किस पर फूटेगा, अभी तय होना बाकी

राजस्थान में कांग्रेस की हार का ठीकरा, किस पर फूटेगा, अभी तय होना बाकी

राजस्थान में कांग्रेस की हार का ठीकरा, किस पर फूटेगा, अभी तय होना बाकी
X

जयपुर। लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 25 सीटोें पर कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने से सत्ता से लेकर संगठन स्तर तक कांग्रेस पार्टी में हायतौबा मची हुई है। कौन किसके ऊपर ठीकरा फोड़े, इसे लेकर ही मंथन चल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमें सेटबैक लगा है पूरी कांग्रेस पार्टी को और ऐसे वक्त में दिल्ली हेड क्वार्टर में आए बातचीत करें यह स्वाभाविक है मेरा ही नहीं बल्कि जितने भी सीनियर नेता है वो भी आ रहे हैं, जा रहे हैं एकजुटता दिखाते हैं ऐसे वक्त में यह आवश्यक होता है। आज इतना बड़ा डिबेकल हुआ है हमारी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे वक्त में जिस पार्टी ने लंबे समय से हमें अवसर दिए काम करने के, लंबे अरसे से हम पार्टी की सेवा करते आ रहे हैं ऐसे वक्त में एकजुटता दिखाना आवश्यक है, इसीलिए दिल्ली में ऐसे वक्त में आना स्वभाविक होता है कोई नई बात नहीं होती है। पहले भी ऐसे वक्त आए हैं तब भी हम लोग आते थे पार्टी उबरी भी है और वापस सत्ता में भी आई है।

गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन पूरी वर्किंग कमेटी ने एकजुट होकर के एक स्वर के अंदर उसको रिजेक्ट कर दिया उनकी विनती को और कहा गया कि आपको ही कमान संभालनी है ।

वहीं कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बेटों को लेकर छपी खबरों पर सीएम गहलोत ने कहा कि खबरें तो छपती रहती है और कौन सी बात किस संदर्भ में होती है वह संदर्भ बदल जाते हैं मीडिया के अंदर आकर, मीडिया में संदर्भ बदल जाते हैं और जब संदर्भ बदल जाता है तो जो न्यूज़ छपती है उसके दूसरे मायने निकलते हैं, यह पार्टी के अंदरूनी मामले होते हैं और राहुल गांधी को अधिकार है कहने का क्योंकि वह हमारे कांग्रेस अध्यक्ष है उनको सब अधिकार है कि किस नेता की कहां कमी रही कैंपेन के अंदर, किस नेता की कहा निर्णय में कमी रही वो ऐसे वक्त में जब पोस्टमार्टम हो रहा है तो स्वाभाविक है कि कांग्रेस प्रेसिडेंट का अधिकार है वह कमियां बताएंगे सबको, हम लोगों ने उस पर डिस्कशन किए हैं पर जो बातें अखबारों में आती है किस संदर्भ में कही है वह संदर्भ खत्म हो जाते हैं तो जो बात छपती है या सुनते हैं रेडियो पर, टेलीविजन पर देखते हैं संदर्भ को हटके जब बात होती है तब उसके मायने दूसरे हो जाते हैं उस पर मैं कोई कमेंट नहीं करना चाहता इतना ही मैं कह सकता हूं।

Updated : 27 May 2019 11:43 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top