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ममता सरकार ने सात वर्षों में तीन गुना आबादी को दिया है खाद्य सुरक्षा

ममता सरकार ने सात वर्षों में तीन गुना आबादी को दिया है खाद्य सुरक्षा
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कोलकाता। वर्ष 1959 में 31 दिसम्बर को हुए खाद्य आंदोलन की सालगिरह पश्चिम बंगाल सरकार खाद्य सुरक्षा दिवस के रूप में मना रही है। राज्य के खाद्य विभाग की ओर से विगत सात सालों में लोगों की खाद्य सुरक्षा के लिए किए गए कार्यों का आंकड़ा जारी किया गया है। इसमें दावा किया गया है कि विगत सात वर्षों में ममता सरकार ने वाममोर्चा शासन की तुलना में तीन गुना आबादी को खाद्य साथी योजना के तहत खाद्य सुरक्षा दी है।

इस बारे में बताया गया है कि राज्य में हर उम्र वर्ग के लोगों को कम से कम कीमत में भोजन मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने एक लक्ष्य तय किया था एवं 7 सालों में राज्य की 90% आबादी को खाद्य साथी योजना के अंतर्गत लाया गया है। इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2010-11 में पश्चिम बंगाल के केवल 2.74 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा अंत्योदय योजना के अधीन दो रुपये किलो चावल पाते थे। ये सारे लोग बीपीएल श्रेणी के अधिन थे लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने 2016 में खाद्य साथी योजना की शुरुआत की। इसके अधीन अब 8.59 करोड़ लोगों को पंजीकृत कर इन लोगों को गरीबी रेखा के नीचे का राशन कार्ड बनाकर 2 रुपये प्रति किलो चावल और गेहूं दिया जा रहा है। बाकी 1.39 करोड़ लोगों को मौजूदा बाजार कीमत से आधे में चावल और गेहूं वितरित किया जा रहा है। इस 7.2 करोड़ लोगों में से 48.07 लाख लोग जंगल महल के आदिवासी वंचित शोषित और महादलित श्रेणी के हैं।

इसके अलावा वित्त वर्ष 2014-15 में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के लिए भी खाद्य योजना की शुरुआत की गई जिसके तहत 5200 बच्चों और उनकी मां को प्रति महीने 5 किलो चावल ढाई किलो गेहूं 1 किलो मसूर दाल 1 किलो चीनी मुफ्त में दिया जाता है। इसके अलावा दैनिक स्तर पर खाद्य विभाग नए बच्चों के लिए राशन कार्ड बनाने और डिजिटल राशन कार्ड मुहैया कराने में जुटा है ताकि अधिक से अधिक लोगों को खाद्य साथी योजना के तहत राशन तेल और अन्य सुविधाएं मिल सके।

Updated : 31 Aug 2018 2:50 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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