इंसानियत शर्माशार: पौने दो घंटे तक प्लेटफॉर्म पर ही पड़ा रहा युवक का शव

ट्रेन की चपेट में आए युवक के शव पर कफन डालने को लेकर भिड़े स्टेशन प्रबंधक और जीआरपी प्रभारी प्रभारी बोले- शव उठाने के लिए पाइस्मैन दे दो; प्रबंधक ने कहा- रेलवे शव उठवाने के लिए आपको पैसा देती है, पाइस्मैन काम में लगे हैं
पड़ा रहा शव होती रही बहस
सोमवार रात करीब नौ बजे गंजबासौदा रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर दिल्ली से भोपाल जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस की चपेट में आने से एक युवक की मौत हो गई।इस मामले में शव को उठाने और उस पर कफन डालने को लेकर जीआरपी और स्टेशन प्रबंधक के बीच हुई तीखी बहस ने व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली से भोपाल जा रही वंदे भारत ट्रेन की चपेट में आने के बाद युवक का शव रेलवे स्टेशन पर करीब दो घंटे तक पड़ा रहा।शव को उठाने को लेकर जीआरपी प्रभारी और स्टेशन प्रबंधक के बीच जमकर बहस हुई।
घटनाक्रम का वीडियो भी सामने आया
सूत्रों के अनुसार, घटना की जानकारी वंदे भारत ट्रेन के गार्ड ने बासौदा रेलवे अधिकारियों को दी थी, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि जीआरपी पुलिस करीब एक घंटे तक मौके पर नहीं पहुंची।अज्ञात युवक का शव प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर ब्रिज के पास पड़ा था, जबकि धड़ से अलग हुआ एक हाथ करीब 50 फीट दूर पड़ा मिला।शव देखकर यात्री भी हैरान थे, लेकिन एक घंटे तक जीआरपी प्रभारी और जवान मौके पर नहीं पहुंचे।यात्रियों की सूचना पर स्टेशन मास्टर हलीम खान मौके पर पहुंचे। इसके बाद जीआरपी प्रभारी बलवंत सलाम भी वहां पहुंच गए। इस दौरान दोनों के बीच शव उठाने और उस पर कपड़ा डालने को लेकर तीखी बहस हो गई।
कफन डालने को लेकर बहस
जीआरपी प्रभारी का कहना था कि उनके पास स्टाफ नहीं है, इसलिए रेलवे का कोई पाइस्मैन दे दिया जाए ताकि शव उठाने में मदद मिल सके।वहीं, स्टेशन प्रबंधक का कहना था कि उनके पाइस्मैन पहले से ही अन्य कार्य में लगे हुए हैं।शव पर कफन डालने को लेकर भी दोनों के बीच नोकझोंक हुई। प्रभारी का कहना था कि पहले भी शव पर कफन डालने के पैसे नहीं मिले हैं।इस पर स्टेशन प्रबंधन ने पूछा कि आपने रेलवे को दी गई जानकारी में इसका उल्लेख क्यों नहीं किया।
इसके बाद प्रभारी बोले- “आप एक-दो पाइस्मैन दे दीजिए, जो शव को उठाकर बाहर तक पहुंचा देंगे, उसके बाद मैं अपने खर्च पर शव को ऑटो से अस्पताल भिजवा दूंगा।”यह सारी बातें वीडियो में सुनाई दे रही हैं। बहस देर तक चलती रही और शव करीब पौने दो घंटे तक प्लेटफॉर्म पर ही पड़ा रहा। राठौर ने बताया कि इस व्हाइट टॉपिंग सड़क पर जीएसबी गिट्टी बिछा दी गई है, जबकि पहले पुराने डामरीकरण को उखाड़कर उसके बाद जीएसबी बिछाई जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यदि इसी प्रकार से सड़क का निर्माण हुआ तो यह अधिकतम छह माह ही चलेगी।
