मप्र के राज्यपाल ऐतिहासिक धरोहर साका श्याम जी पर मोहित
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नरसिंहगढ़। इतिहासिक किवदंतियों की मिसाल साका श्याम जी की शूरवीर राजा श्याम सिंह की कलात्मक छत्री/मंदिर की शिल्प कला पर मप्र के राजपाल मंगू भाई मोहित हो गए। ठेठ जंगल मे अब से करीब चार सौ साल पूर्व राजा की विधवा ने अपने शूरवीर पति की स्मृति को चीर स्थाई करने के लिए इस वैभवशाली छत्री का निर्माण करवाया था।
छत्री के गर्भ गृह से लेकर शिखर तक सनातन की विभिन्न धाराओं को शिल्पियों ने रेखांकित किया। किवदंती है। इस छत्री का निर्माण विश्वकर्मा ने केवल एक रात में किया। निर्माण पूर्ण होने से पूर्व ही एक प्रसव पीड़िता के रुदन से विश्वकर्मा का ध्यान भंग हो गया। विश्वकर्मा ने कुपित हो भविष्य में गांव में प्रसव न होने का शाप दे डाला।
शाप फलीभूत भी हुआ। पिछले 04 सौ साल में गांव में प्रसव नही हुए। गांव के बाहर ही प्रसव कराने के लिए प्रसूता को ले जाना पड़ता है। गाइड ने गांव की इस खासियत को सा विस्तार राजपाल को बताया। राजधानी भोपाल की कोख में बसे इस लुभावन पर्यटन तीर्थ की यश कीर्ति काफी होने के बाबजूद होने के बाबजूद काफी कसरतों के बाबजूद पर्यटन नक्से पर शामिल न हो सका। विधायक राजवर्धन सिंह काफी प्रयास कर रहे है। ताकि स्थानीय लोगो को रोजगार मिल सके।
साका श्याम जी के अलावा मौर्य कालीन कोटरा,इतिहासिक धार्मिक नगरी नरसिंहगढ़ जैसे अदभुद, तेजस्वी पर्यटन स्थल भी 10 किलोमीटर की रेंज में है। राज्यपाल का भव्य स्वागत किया। गीलाखेड़ी,पीलूखेड़ी में आंगनवाड़ीयो का अवलोकन किया।राजपाल ने ग्रामीणों से नशा सहित अन्य दुर्व्यसन तजने की अपील की। जिला प्रशासन पिछले 04 दिनों से राज्यपाल के प्रवास को इतिहासिक बनाने में लगा था। पहले कभी राजपाल या मुख्यमंत्री जैसी हस्तियों के आने पर प्रेस की उपेक्षा नही की जाती थी। मगर मामा के राज में प्रेस को प्रेस कर दिया।
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