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शास्त्रीय संगीत सुनने से दिल और दिमाग को मिलता है सुकून

शास्त्रीय संगीत सुनने से दिल और दिमाग को मिलता है सुकून
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बेगूसराय। बनारस घराना के पद्म भूषण पंडित राजन मिश्रा के पुत्र पंडित रितेश मिश्रा और पंडित रजनीश मिश्रा ने जब वर्षा ऋतु में गाए जाने वाले राग मिया मल्हार ''कारे कारे बदरा बरसन आये'' का राग छेड़ा तो पूरा हॉल गूंज उठा। मौका था स्पिक मैके के संयोजन में भारद्वाज गुरुकुल के ऑडिटोरियम में शास्त्रीय संगीत गायन कार्यक्रम का। तबला पर संगत कर रहे थे पंडित मिथिलेश कुमार झा और हारमोनियम पर थे सुमित मिश्रा। कार्यक्रम के दौरन विशुद्ध शास्त्रीय संगीत का उदाहरण पेश कर कलाकारों ने समझाया कि फिल्मों में ''मुन्नी बदनाम हुई'' जैसे फूहड़ गीत शास्त्रीय संगीत के राग को बदनाम करने का प्रयास है।

चंद पैसों की खातिर धरोहरों को उजाड़ा जा रहा है। संस्कार और संस्कृति को पीछे छोड़कर होने वाला विकास, विकृति को पैदा कर रहा है। शास्त्रीय संगीत के मिठास को छोड़कर फूहड़ गीत बाजार में परोसने का नतीजा समाज के सामने है। बच्चों को अच्छे विशुद्ध संगीत का ज्ञान नहीं है। अगर संगीत नहीं सीख सकते तो कम से कम अच्छे संगीत को सुनें और सुनाएं। हजारों वर्षों के तपस्या को इस तरह से बेकार न जाने दें।

उन्होंने बताया कि शास्त्रीय संगीत सुनने के बाद दिल और दिमाग को काफी सुकून मिलता है। यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है। कार्यक्रम में बच्चों के साथ गाये गए गीत ने सबों को खूब गुदगुदाया।

Updated : 1 Sep 2018 9:35 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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