Home > खेल > क्रिकेट > सुनील गावस्कर ने इस खिलाडी की जमकर प्रशंसा

सुनील गावस्कर ने इस खिलाडी की जमकर प्रशंसा

सुनील गावस्कर ने इस खिलाडी की जमकर प्रशंसा
X

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और महान टेस्ट ओपनर सुनील गावस्कर ने सौरव गांगुली की जमकर प्रशंसा की है। सुनील गावस्कर के मुताबिक सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाजों में से एक हैं। बकौल गावस्कर विपक्षी टीमें चाहे कितनी भी मजबूत क्यों न रही हों गांगुली ने हमेशा डटकर उनका सामना किया। यह पछू जाने पर कि क्या वीरेंद्र सहवाग भारत के महानतम बल्लेबाजों में अपना स्थान बनाते हैं? सुनील गावस्कर ने जवाब दिया, 'इस सदी की शुरुआत से ही भारत के पास कई दिग्गज बल्लेबाज रहे हैं। इनमें मैं सौरव गांगुली का नाम सबसे ऊपर रखना चाहूंगा।'

सुनील गावस्कर ने कहा, 'क्योंकि विपक्षी टीम चाहें कितनी भी मजबूत क्यों न हो, सौरव ने कभी कदम पीछे नहीं हटाए। सौरव की कप्तानी और उनकी बल्लेबाजी का चरम भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए महान दिन थे। इसके अलावा एक खिलाड़ी के तौर पर अनिल कुंबले को नहीं भूलना चाहिए और वह ऐसा समय था, जब महेंद्र सिंह धौनी एक खिलाड़ी के तौर पर उभर रहे थे।' गौरतलब है कि सौरव गांगुली ने बहुत ही विपरीत परिस्थितियों में भारतीय क्रिकेट टीम की कमान संभाली थी। साल 1999 में जब ​कुछ सीनियर खिलाड़ियों पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा था और भारतीय क्रिकेट में उथल-पुथल मची हुई थी तब गांगुली को कप्तान बनाया गया और उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया।

सुनील गावस्कर से जब यह पूछा गया कि क्या आज के खिलाड़ी उस खालीपन का फायदा उठा रहे हैं, जो बोर्ड और कमजोर सीओए के कारण पैदा हुआ है? तो उन्होंने कहा,'इससे दूसरे क्रिकेट बोर्डों को फायदा हो रहा है। जगमोहन डालमिया से पहले बीसीसीआई कमजोर था। उस समय इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया का विश्व क्रिकेट पर दबदबा था। डालमिया के आने से बीसीसीआई मजबूत हुआ। उसी का नतीजा था कि क्रिकेट की दुनिया में भारत की आवाज सुनी जाने लगी। शरद पवार और एन. श्रीनिवासन ने उसे और मजबूत किया लेकिन अब भारतीय क्रिकेट कमजोर हुक्मरानों की दया पर निर्भर है।'

अपने क्रिकेट करियर के सबसे निराशाजनक पल और अपनी सबसे अच्छी टेस्ट पारी के बारे में पूछे जाने पर सुनील गावस्कर ने कहा, 'भारत जब भी हारा है, मेरे करियर का निराशाजनक पल रहा है। खासतौर पर जब हम ऐसे मैचों में हारे हैं जिन्हें हम जीत सकते थे। तब मुझे बहुत अधिक निराशा हुई। अगर टीम हार जाती है तो व्यक्तिगत प्रदर्शन का कोई मतलब नहीं रह जाता है। जहां तक मेरी श्रेष्ठ पारी का सवाल है तो 1971 में मैनचेस्टर में खेली गई 57 रनों की पारी श्रेष्ठ है। यह पारी उस विकेट पर खेली गई थी, जहां काफी तेज हवा बह रही थी और अंधविश्वास के कारण मैं जम्पर पहनने की स्थिति में नही था।'

Updated : 30 July 2019 5:05 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top