बिहार में भगवा परचम

बिहार में भगवा परचम
X

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए गठबंधन ने दो सौ सीटें पार कर ऐतिहासिक जीत हासिल की है। नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि देश में भगवा लहर है। इन परिणामों ने इंडिया महागठबंधन को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा है। एक के बाद एक पराजय का सामना कर रहे इंडिया महागठबंधन की इस हार से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जमकर किरकिरी हुई है, क्योंकि महाराष्ट्र, नई दिल्ली, हरियाणा के बाद उनके सिर एक और बड़ी पराजय आई है।

बिहार में भगवा परचम लगी है। बिहार चुनाव के पहले राहुल गांधी ने वोट चोरी का मुद्दा जमकर उठाया और पदयात्रा की, लेकिन फिर भी वह इसे वोट में बदलने में नाकामयाब रहे। इससे महागठबंधन बुरी तरह फ्लॉप साबित हुआ। यानी विपक्ष ने यह चुनाव पूरी तरह मुद्दाविहीन होकर लड़ा, जिससे जनता ने उन्हें एक और बड़े राज्य में ठुकरा दिया। ईवीएम को छोड़ वोट चोरी में भी कुछ खास नहीं कर सके। खास बात यह रही कि महागठबंधन बहुमत तो छोड़िए, मान-सम्मान भी नहीं रख सका और मात्र 30-35 सीटों के आसपास संघर्ष करता दिखा, जिससे तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनने का सपना धरा रह गया। वहीं, कांग्रेस भी केवल पांच सीटों पर ही सिमट गई। उसके लिए अब कांग्रेस नाम तक बचाना टेडी खीर साबित हो रहा है।

एनडीए गठबंधन के तीन प्रमुख घटक भाजपा, जदयू और लोजपा ने अपनी सीटों में उल्लेखनीय बढ़त प्राप्त कर दो सौ का रिकॉर्ड आंकड़ा पार किया। इसमें भी भाजपा का प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जादुई नेतृत्व को श्रेय दिया जा रहा है। इसके साथ ही इस अभूतपूर्व सफलता के केंद्र में राज्य की महिलाएं भी हैं, जिन्होंने नीतीश सरकार की महिला केंद्रित योजनाओं पर भरोसा जताया। 10 हजार रुपए की सीधी सहायता, लखपति दीदी और जीविका मॉडल जैसे कार्यक्रमों ने महिला मतदाताओं का मजबूत समर्थन एनडीए पक्ष में सुनिश्चित किया।

बिहार चुनाव में मुकाबला मुख्य रूप से जनता दल यूनाइटेड के नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और राजद के तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन के बीच था। इस बार प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी (जेएसपी) को भी बड़ा झटका लगा है। एनडीए ने 243 में से दो सौ से अधिक सीटों पर जीत हासिल की। इसमें भाजपा ने जदयू से ज्यादा सीटें लाकर सबको चौंका दिया। ऐसे में बिहार में मुख्यमंत्री की कमान भाजपा के हाथों रहने वाली है। यही कारण है कि इस बार एनडीए ने किसी का नाम मुख्यमंत्री के लिए आगे नहीं किया।

इस चुनाव में रिकॉर्ड 67.13 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 1951 के बाद सबसे ज्यादा रहा। खास बात यह रही कि महिलाओं ने पुरुषों से अधिक वोट डाले; महिलाओं की भागीदारी 71.6 प्रतिशत रही, जबकि पुरुष 62.8 प्रतिशत। लगभग 20 साल से बिहार की सत्ता संभाल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव उनकी लोकप्रियता और जनता के भरोसे की बड़ी परीक्षा माना गया। कभी 'सुशासन बाबू' के नाम से मशहूर नीतीश को पिछले कुछ वर्षों में उनके बार-बार बदलते राजनीतिक समीकरणों को लेकर सवालों का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस बार के चुनावी प्रदर्शन में नीतीश कुमार ने यह साबित कर दिया कि जनता का उन पर भरोसा बरकरार है।

फिलहाल परिणामों से साफ है कि एनडीए को महिलाओं सहित बड़ी संख्या में मतदाताओं का समर्थन मिला है। लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल भी इस चुनाव में एक नई पार्टी बनाकर मैदान में उतरी, लेकिन वह भी असफल साबित हुई। जबकि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम छह सीटों पर आगे रही, जिससे मुस्लिम वोट इंडिया महागठबंधन से पिछड़ गए।

Next Story