संघ कार्य के 100 साल: भाडेर में दतिया से सात साल पहले ही प्रारंभहो गई थी शाखा

भाण्डेर में संघ कार्य दतिया से सात साल पहले ही प्रारंभ हो गया था। दतिया में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली शाखा मार्च 1946 में सुरैयन मैदान में स्थापित हुई। उस समय झांसी से करंजकर के प्रयासों से संघ का कार्य प्रारंभ हुआ। प्रारंभ में इसे महाकाल शाखा नाम दिया गया। इस शाखा के पहले स्वयंसेवकों में सुरजप्रकाश अंगल, उनके पिता बाबूलाल पटेरिया, कैलाश पटेरिया, रामदास कदव, स्वरुण पेन्टर, गोपाल गंचो और श्रीराम दुबे शामिल थे।
विष्णु वर्तजकर के मार्गदर्शन में महादेव मंदिर पर एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें ऊपर बताए गए सभी लोग उपस्थित थे। इस शाखा के पहले मुख शिक्षकों में सुरथे और अर्ग थे। इसके तीन माह बाद नगर में शाखाएं और सक्रिय हो गईं।
संघ का पहला कार्यालय- गोविन्द धर्मशाला
दतिया में संघ का पहला कार्यालय गोविन्द धर्मशाला में स्थापित हुआ। इसके बाद गुगोरिया धर्मशाला में भी कार्यालय का संचालन हुआ। इसके पास ही ग्राम भारती का कार्यालय भी था। इसके बाद कुम्हपुरा भवन को कार्यालय के लिए खरीदा गया, जो वर्तमान में संघ का स्थायी कार्यालय है।
बाल स्वयंसेवकों की प्रेरक पहल
शाखा के बाल स्वयंसेवकों के सामने मुख्य शिक्षक ने कहा कि गुरुदक्षिणा अपने माता-पिता के प्रति सम्मान और अनुशासन का प्रतीक है। उस समय शाखा के पास कोई साधन नहीं था। बच्चों ने मिलकर बाजार से अखबार खरीदकर लिफाफे बनाए और उन्हें बेचकर गुरुपूर्णिमा के दिन पैसे एकत्र किए। इन्हें शाखा में गुरुदक्षिणा के रूप में समर्पित किया गया।
भाण्डेर में शाखा स्थापना और साइकिल यात्रा
भाण्डेर में बापूराव सरदेसाई ने 1939 में पोतदार की बगिया में शाखा शुरू की। 1945-46 में संघ की गुरुवर्गीय साधना कार्यक्रम में भाण्डेर से आठ नवयुवक साइकिल से कार्यक्रम में शामिल होने गए।
प्रवास में संकट और साहस
दतिया के जिला प्रचारक जगराम सिंह ग्रामीण क्षेत्र में प्रवास के दौरान अकेले लौट रहे थे, तब रात के समय उन्हें डाकुओं ने घेर लिया। जगराम सिंह ने अपने परिचय से उन्हें प्रभावित किया और सुरक्षित रूप से रात पूरी की।
प्रारंभिक शाखाएं और शिक्षण वर्ग
शुरुआती शाखाएं सुरैयन मैदान (प्रभात), राममायर, रेल्वे क्रॉसिंग के पास स्थापित हुईं। इन शाखाओं को क्रमशः सहका शाखा, गोविन्द शाखा और महाकाल शाखा नाम दिया गया। प्रभात शाखा में उपस्थिति लगभग 160 रही। सन् 1947 में वालिगर के जे.सी. मिल विद्यालय में शिक्षण वर्ग आयोजित हुआ, जिसमें शाखा के सुरजप्रकाश अंगल और श्रीराम दुबे शामिल हुए।
भाण्डेर में शाखा विस्तार और मान्यता
भाण्डेर में संघ कार्य का विस्तार तेजी से हुआ। सात्यां तक तहसील में 25 शाखाओं का अधिकतम लक्ष्य प्राप्त हुआ। उस समय मध्यभारत प्रान्त ने घोषणा की कि जिस तहसील में 20 या अधिक शाखाएं होंगी, उसे आदर्श तहसील माना जाएगा। भाण्डेर ने इस कसौटी पर उत्कृष्टता प्राप्त की और स्वयंसेवकों की संख्या में वृद्धि हुई।
