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रक्षा बंधन पर भद्रा का साया, रात्रि 8.51 बजे के बाद बंधेगी राखी
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ग्वालियर, न.सं.। सावन महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहिनें भाई की कलाई पर स्नेह और प्रेम का सूत्र बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस बार रक्षा बंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन इस दिन भद्रा होने के कारण रात्रि 8 बजे के उपरांत ही बहने अपने भाईयों को राखी बांध सकेंगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद जैन का कहना है कि रक्षाबंधन पर्व के दिन इस बार भद्रा रहेंगी। भद्रा तिथि में राखी बांधना शास्त्र अनुसार निषेध है। इस बार रक्षाबंधन पर्व के दिन 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि 10.38 बजे से 12 अगस्त को प्रात: 07.05 बजे तक है। 11अगस्त को पूर्णीमा तिथि के साथ ही 10.38 बजे से भद्रा शुरू होगी जो रात्रि 08.50 बजे तक रहेगी। इसके बाद ही रात्रि 08.51 से 09.13 बजे तक प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में बहिनों को अपने भाई की कलाई पर राखी बांधना चाहिए। इस लिहाज से बहनों को 22 मिनट का ही शुभ मुहुर्त मिलेगा जिसमें बहने अपने भाईयों को राखी बांध सकेंगी।
भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी:-
रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। ऐसा कहा जाता है कि लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष में ही उनका विनाश हो गया था। कहा यह भी जाता है कि भद्रा शनिदेव की बहन थी। भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा उसक परिणाम अशुभ ही होगा।