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677 साल बाद बन रहा गुरु पुष्य पर शनि-गुरु दुर्लभ योग, नई वस्तु खरीदने पर मिलेगा..

डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी विभागाध्यक्ष ज्योतिष श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय

677 साल बाद बन रहा गुरु पुष्य पर शनि-गुरु दुर्लभ योग, नई वस्तु खरीदने पर मिलेगा..
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वेबडेस्क। ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों का विशेष महत्व बताया गया है। ये नक्षत्र किसी न किसी रूप में हमारे जीवन पर असर जरूर डालते हैं। इन सभी में पुष्य नक्षत्र का विशेष स्थान है। इसे नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार "सर्वाणि विघ्नानि हरन्ति पुष्यः" अर्थात जीवन के सभी विघ्न बढ़ाओ और समस्याओं का हल पुष्य नक्षत्र में संभव है । दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र बहुत ही महत्वपूर्णहोता है। इस बार 28 अक्टूबर, गुरुवार को पूरे दिन और रात पुष्य नक्षत्र रहेगा । पुष्य नक्षत्र गुरुवार को होने से इसे गुरु पुष्य कहा जाएगा । इस बार 677 साल बाद गुरु पुष्य नक्षत्र पर गुरु और शनि का दुर्लभ योग बन रहा है । साथ ही इस दिन अमृत सिद्धि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग भी पूरे दिन रहेगा । इस दिन खरीदी गई वस्तुएं शुभफल देने वाली होती हैं । पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं । शनिवार को या शनि के नक्षत्र में जो भी काम किया जाता है। वह लंबे समय तक चलता है । इस बार गुरु और शनि, शनि के स्वामित्व वाली मकर राशि में एक साथ स्थित हैं। दोनों ग्रह मार्गी रहेंगे और इन ग्रहों पर चंद्र की दृष्टि भी होगी। जिससे गजकेसरी योग भी बनेगा। चंद्र धन का कारक ग्रह है, और यह योग सभी प्रकार से मंगलकारी होगा। 677 साल पहले 5 नवंबर 1344 को भी गुरु-शनि की युति मकर राशि में थी और गुरु पुष्य योग बना था। इस बार 28 अक्टूबर को ये दुर्लभ योग बन रहा है।

गुरु पुष्य नक्षत्र पर इनसे मिलेगा लाभ -

शनि-गुरु की युति से बने गुरु पुष्य नक्षत्र में घर, जमीन, सोने-चांदी के गहने या सिक्के, टू व्हीलर या फोर व्हीलर, इलेक्ट्रानिक्स आयटम, लकड़ी या लोहे का फर्नीचर, कृषि से जुड़ा सामान, पानी या बोरिंग की मोटर, बीमा पालिसी, म्यूचल फंड या शेयर मार्केट में निवेश करने से लाभ की प्राप्ति हो सकती है ।

निवेश व दान करना शुभ -

बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और शनि गुरु का मान रखता है, साथ ही बृहस्पति और शनि के बीच कोई शत्रुता भी नहीं है। इसलिए पुष्य नक्षत्र गुरुवार को आना बहुत शुभ माना जाता है। इस योग में निवेश करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ये निवेश लंबे समय तक लाभ देने वाला हो सकता है। पुष्य नक्षत्र पर खरीदारी के साथ ही दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को नए वस्त्र, अनाज, जूते-चप्पल और धन का दान करना चाहिए। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें ।

पुष्य नक्षत्र, जिसकी देवता भी करते हैं पूजा -

पुष्य नक्षत्र के बारे में कहा जाता है कि ये ऐसा नक्षत्र है जिसकी देवता भी पूजा करते हैं । इस नक्षत्र की विशेष बात ये है कि शादी विवाह आदि को छोड़कर इस नक्षत्र में पंचांग के देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है । कार्तिक माह का पहला पुष्य नक्षत्र विशेष महत्व रखता है । क्योंकि इस वर्ष ये दिवाली के पर्व से पहले पड़ रहा ।

पुष्य नक्षत्र कब है?

पंचांग के अनुसार 28 अक्टूबर 2021, गुरुवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है । इस दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा. इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहेगा । 28 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र प्रात: 09 बजकर 41 मिनट से होगा और 29 अक्टूबर को प्रात: 11 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है, इसलिए इसे गुरु पुष्य नक्षत्र भी कहा जाता है । इस नक्षत्र में खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना गया है । 28 अक्तूबर को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है ।


Updated : 1 Nov 2021 8:08 AM GMT
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