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सैकड़ों साल पुराने इस मंदिर में जन्मोत्सव की तैयारी हुई शुरू

सैकड़ों साल पुराने इस मंदिर में जन्मोत्सव की तैयारी हुई शुरू
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हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में सैकड़ों साल पुराने बांके बिहारी मंदिर में सोमवार से जन्माष्टमी की धूम मचेगी। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई हैं। यह मंदिर अतीत में स्वतंत्रता संग्राम की यादें आज भी संजोए है तथा इसी मंदिर से अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने हल्ला बोला था। ये मंदिर भारतीय शिल्पकला का अनूठा उदाहरण भी है।

हमीरपुर नगर से 67 किमी दूर मुस्करा क्षेत्र के गहरौली गांव समूचे क्षेत्र का सबसे बड़ा गांव है। आबादी करीब दस हजार है। यहां के पं. धनीराम गुरुदेव ने अपने अनुज पं. ऊधौराम के पुत्र प्रागदत्त के जन्मोत्सव पर बांके बिहारी मंदिर का निर्माण वर्ष 1872 में कराया था। यह मंदिर सिर्फ चूने, मिट्टी, कंकरीले पत्थरों से निर्मित कराया गया है, जो भारतीय शिल्पकला का अनूठा उदाहरण है। मंदिर की छत से सटे कंगूरे प्रमुख गेट से लेकर भगवान बांके बिहारी के विराजमान स्थल तक छतों पर फूल पत्तियां, तैल चित्र, सनातनी देवी-देवताओं की भव्य प्रतिमाएं पूरे मंदिर में अंकित हैं।

भगवान का श्रृंगार सोने-चांदी से निर्मित है। मंदिर का शिखर 50 मीटर ऊंचा है। मंदिर में लगे लकड़ी के दरवाजों की नक्काशी बहुत ही कलात्मक है। इसकी भव्यता, कलात्मकता एवं अध्यात्मिक शक्ति भी बेमिसाल है। यहां हर साल रामलीला एवं मेला कार्यक्रम आयोजित होता है। बांके बिहारी मंदिर के पुजारी डॉ राजाभइया ने बताया कि मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारी की जा रही है। सोमवार को यहां जन्मोत्सव में पूरा गांव एकत्र होगा।

अंग्रेजों के खिलाफ इसी मंदिर में बना था प्लान

यहां के साहित्कार डॉ भवानीदीन ने बताया कि यह मंदिर कई वर्षों तक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की क्रांतिकारी गतिविधियों का केन्द्र रहा है। ब्रिटिश हुकूमत के समय अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने का प्लान इसी मंदिर में बनाया गया था। लोगों में जोश भरने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आन्दोलन करने के लिए क्रांतिकारी समाचार पत्र बुन्देलखण्ड केसरी चोरी छिपे यहीं से प्रकाशित होता था। यह अखबार हस्तलिखित था।

क्रांतिकारी अखबार छपवाने में बुजुर्ग सेनानी गए थे जेल

गांव के बुजुर्ग कपिल देव पाण्डेय ने बताया कि इस गांव के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. मन्नीलाल गुरुदेव ने राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रियता दिखाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई थी। भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान मन्नीलाल के इसी मंदिर में बुन्देलखण्ड केसरी अखबार को छपवाने में मदद करने पर हमीरपुर समेत कई जिलों के जेलों में उन्हें आठ साल की सजा भुगतनी पड़ी थी। उनके साथ कई बुजर्ग भी जेल गए थे।

बेमिसाल व अद्भुत नक्काशी के लिए विख्यात है मंदिर

बांके बिहारी मंदिर के पुजारी डॉ राजाभइया कहना है कि यह मंदिर पूरे भारत में शिल्पकला व बेमिसाल नक्काशी के लिए विख्यात है। इस मंदिर में हर कोई, सुबह शाम पूजा-अर्चना करने आता है। खासतौर पर राष्ट्रीय पर्वों में इस मंदिर में गांव के बुजुर्ग लोग पहुंचकर क्रांतिकारियों को याद भी करते हैं। यह मंदिर पूरे गांव के लिए आस्था का केन्द्र है। हमीरपुर और आस-पास के क्षेत्रों से भी लोग यहां दर्शन करने आते हैं।

Updated : 1 Sep 2018 11:29 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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