राजस्थान के राजनीतिक संकट में कमलनाथ की एंट्री, सवाल- क्या गहलोत और पायलट मान लेंगे बात ?
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जयपुर। राजस्थान में दो साल बाद एक बार फिर मुख्यमंत्री पद को लेकर बवाल मचना शुरू हो गया है।सियासी संकट के बीच मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की एंट्री हो गई है। कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें तुरंत दिल्ली बुलाया है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच चल रही रस्साकस्सी का समाधान निकालने के लिए उन्हें जयपुर भेजा जा सकता है।
दरअसल, अशोक गहलोत के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री बदला जाना है। इसके लिए कल रविवार को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। जिसमें सचिन पायलट को अगला सीएम बनाए जाने की संभावना पर चर्चा होनी थी लेकिन गहलोत गुट के विधायकों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा। इस गुट ने पर्यवेक्षकों के सामने शर्त भी रखी पहली मांग है कि 19 अक्तूबर को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद नया मुख्यमंत्री चुना जाए और प्रस्ताव को इसके बाद ही अमल में लाया जाए। दूसरी शर्त है कि गहलोत खेमा विधायक दल की बैठक में आने के बजाए अलग-अलग समूहों में आना चाहता है। तीसरी शर्त यह थी कि नया सीएम उन 102 विधायकों में से चुना जाना चाहिए, जो गहलोत के प्रति वफादार हैं, न कि सचिन पायलट के।
उधर जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कल जो भी कुछ हुआ उससे हमने कांग्रेस अध्यक्ष को अवगत कराया है। अंत में जो भी निर्णय लिया जाएगा, उसका सभी को पालन करना होगा। पार्टी को एकजुट रखना है और पार्टी में अनुशासन रहना चाहिए। इन परिस्थितियों में कांग्रेस के लिए राजस्थान का संकट बहुत बड़ा होने वाला है। ऐसे में अब गांधी परिवार को कमलनाथ ही एक सहारा नजर आ रहे है। जो राजस्थान में दोनों गुटों से चर्चा कर बीच का रास्ता निकाल सकते है।
स्वदेश डेस्क
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