चिंता नहीं, चिंतन के साथ शिक्षा को लेकर सकारत्मक विचार आवश्यक - मुकुल कानिटकर
धन कमाने की मशीन बनकर विद्यार्थी न रह जाएं, भारत को विश्व गुरु बनाने में संलग्न हो - उमाशंकर पचौरी
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नईदिल्ली/ग्वालियर। शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय भारतीय शिक्षण मंडल ने गुरु पुष्य योग रामनवमी 02 अप्रेल को 50 वर्ष पूर्ण किये हैं। स्थापना दिवस के अवसर पर व्रत संकल्प समारोह का भी समापन हुआ। पूरे देश में लगे लॉकडाउन के नियमों का पालन करके घर पर ही देश - विदेश के सभी कार्यकर्ताओं ने परिवार के साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फसेबुक पर मंडल द्वारा आयोजित संगोष्ठियों, श्री राम जय राम जय जय राम का जप, ऑनलाइन सत्संग "जाने अपने जीवन की रामकथा" आदि कार्यक्रमों में भाग लिया।
भारतीय शिक्षण मंडल के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पत्र लिखकर सभी कार्यकर्ताओं को बधाई दी और कहा कि - युवाओं के सशक्तिकरण व बौद्धिक विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझते हुए शिक्षा को निरंतर बेहतर बनाने के लिए कार्य करता रहेगा ऐसा मुझे विश्वास है।
मंडल राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. उमाशंकर पचौरी ने अपने वक्तव्य में कहा की शोधकर्ता कार्यकर्ता बने, कार्यकर्ता शोधकर्ता बने और परिवार पाठ शाळा बने ऐसा माहौल निर्मित हो रहा है। मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सच्चिदानंद जोशी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में लॉकडाउन के दौरान गृहवास पर कार्यकर्ताओं को कविता " मैदान मत छोड़ना" का वाचन कर हौंसला बढ़ाया। और मंडल उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने सजीव प्रसारण के माध्यम से ध्येय श्लोक पढ़कर सजीव अपने सम्बोधन में कहा की आज मंडल जो भी है वो हमारे संगठनों के पूर्वजों के कठिन परिश्रम के कारण ही अखिल भारतीय स्तर पर 44 प्रांतों में सक्रिय है। लॉकडाउन के नियमों पालन करते हुए पूरे देश में 50,000 घरों में कार्यकर्ताओं ने पूरे परिवार के साथ स्थापना दिवस मनाया यह एक बड़ी उपलब्धि है। हम समाधान पर नहीं समस्या पर चिंतन करते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बताया की मंडल ने 9वीं से 12वीं तक लचीली शिक्षा व्यवस्था करने की मांग की है जिससे विद्यार्थी अपनी प्रतिभा का रूचि अनुसार उपयोग कर सके। कोरोना वायरस को लेकर अपने वक्तव्य में बोले की हम भारतीय संयम के पराक्रम इसको परास्त करेंगे।
स्वदेश डेस्क
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