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एनजीटी ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को लगाई फटकार

कहा- हर साल दिल्ली में ऐसा होता है, दिल्ली सरकार पहले से कोई तैयारी क्यों नहीं करती?

एनजीटी ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को लगाई फटकार
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दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को फटकार लगाई है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हर साल दिल्ली में ऐसा होता है। दिल्ली सरकार पहले से कोई तैयारी क्यों नहीं करती है? एनजीटी ने दिल्ली सरकार को विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया। एनजीटी ने कहा कि समय से पहले विशेषज्ञों की राय लेकर प्रदूषण नियंत्रण के लिए योजना बनाएं।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि हमारी तरफ से कमी नहीं रह गई है। खुले में कचरा जलाने की शिकायत पर हम कार्रवाई करते हैं। कोई भी व्यक्ति खुले में कचरा जलाने की शिकायत कर सकता है। चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि म्युनिसिपल कचरे का केवल 55 फीसदी की ही प्रोसेसिंग हुई है। तब एनजीटी ने पूछा कि इसके लिए हम किसे जिम्मेदार मानें? तब चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि एडिशनल सैनिटरी इंस्पेक्टर को। तब एनजीटी ने पूछा कि कितने सैनिटरी इंस्पेक्टर हैं? क्या उनके पास पर्याप्त उपकरण होते हैं? तब चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि किसी के पास 70, किसी के पास 100 और किसी के पास 300 उपकरण होते हैं।

एनजीटी ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आपने अक्टूबर से कार्रवाई क्यों शुरू की, अगस्त से क्यों नहीं शुरू की? आपने स्थिति बिगड़ने का इंतजार क्यों किया?

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने एनजीटी से कहा कि सचिव स्तर की बैठक की गई है। केंद्र ने 1150 करोड़ रुपये राज्यों को दिए हैं। इस साल 50 हजार मशीनें उपलब्ध कराई गईं जबकि पिछले साल 14 हजार मशीनें उपलब्ध कराई गई थीं। तब एनजीटी ने कहा कि केवल मुफ्त में मशीनें देने से कुछ नहीं होगा। पराली जलाने की संस्कृति छोड़नी होगी। लोगों का हित सर्वोपरि है। केंद्र सरकार को एक सुनियोजित रुख अपनाना चाहिए। किसानों को ये समझाना होगा कि पराली जलाना उनके हित में नहीं है।

पिछले 4 अक्टूबर को एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की खराब होती स्थिति पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति तथा वन और पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों को तलब किया था।

एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने इस मामले में बंद कमरे सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा कि ये हालात एक दिन में नहीं बने हैं, बल्कि ये स्थिति लगातार लापरवाही का नतीजा है। एनजीटी ने कहा था कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल योजना बनाने की जरूरत है। एनजीटी ने कहा था कि वर्तमान उपायों को सुधारने की जरूरत है।

Updated : 5 Nov 2019 10:00 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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