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सम्भनाओं के खेल में मोदी सबसे बड़े खिलाड़ी

सम्भनाओं के खेल में मोदी सबसे बड़े खिलाड़ी
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नई दिल्ली। देश का अधिकांश मतदाता नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता है। यह अंडर करंट है। मतगणना से पहले कोई भी दल खुद को इक्कीस से कम मानने को तैयार नहीं दिखता । अधिकांश मतदाता मोदी समर्थक होने से हवा का रुख मोदी के पक्ष में जाता लग रहा है। पर मौन मतदाता नेताओं की एक तरह से धुकधुकी बढ़ाए हुए है। यह मौन मतदाता जिस करवट भी बैठा होगा, सत्ता का ऊँट भी उसी करवट ले लेगा। अभी मतदान का एक चरण शेष रहते क्षेत्रीय नेताओं ने जिस तरह की पहल की, वह हैरान करने वाली है। टीडीपी नेता एन चंद्रबाबू नायडू और तेलंगाना राष्ट्र समिति के के चन्द्रशेखर रॉव ने कई विपक्षी दलों के नेताओं से मिलकर मानसिक बढ़त लेने की कोशिश की है। माना जा रहा था कि मतगणना से पहले 21 मई को सभी विपक्षी दलों की बैठक होगी लेकिन, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस बैठक में जाने से इनकार कर दिया।

ममता दीदी का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर होने से वे झुकना क्यों पसंद करेंगी? ऐसा ही मामला कुछ बहन मायावती के साथ बनता है। जिनके साथ अखिलेश यादव हर कदम पर बहन जी के साथ सुर में सुर मिला रहे हैं। तीनों की महत्वाकांक्षा सिर चढ़कर बोल रही है। भले ही फिर परिणाम चौकाने वाले ही क्यों न आएं?

जानकारों का कहना है कि महागठबंधन की सीटें जो भी रहें, पर खेल की दिशा यही तय करने जा रहा है। मायावती अलग किस्म की राजनीति करती हैं, वे किसी भी सरकार के साथ जा सकती हैं। वे किसी भी सगी नहीं हैं। क्या पता इस गठबंधन के दोनों ही साथी मतगणना के तुरंत बाद अपनी ढपली अपना रंग न अलापने लगें। इसी तरह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। राजद के नेता केसी त्यागी का बिहार को पूर्ण राज्य के दर्जे पर दिया गया बयान के अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि नीतीश बाबू मतगणना के बाद बनने वाले समीकरणों पर गिद्ध दृष्टि लगाए हुए हैं। केसी त्यागी को आगे करके उन्होंने अपनी संभावनाओं के द्वार खोल दिये हैं।

भाजपा और कांग्रेस देश के दो बड़े दल होने के नाते राजनीति इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमनी चाहिए। लेकिन, बीते पांच सालों में कांग्रेस की जिस तरह दुर्गति हुई, उससे भाजपा को सत्ता में आने से रोकना उसका एक मात्र उद्देश्य रह गया है।

राजनीति सम्भनाओं का खेल है। इसमें हारता हुआ खिलाड़ी कब बाजी मार ले जाए और जीतता हुआ खिलाड़ी कब अर्श से फर्श पर आ जाये कोई नहीं जानता। इस बार का चुनाव बड़े दिलचस्प अंदाज में आ खड़ा हुआ है। मतदाताओं ने अपना काम कर दिया। 19 मई को अंतिम चरण के बाद नेतागण अपने काम मे लग जाएंगे। इसे सत्ता का तिलिस्म कहिये या लोकतंत्र की खूबसूरती, जहां अंतिम समय तक इस तरह का रोमांच बना हुआ नजर आ रहा है। तमाम कयासों के बाद अंत मे लोग मोदी पर आकर ठहर जाते हैं। तभी अपना मानना है कि 2019 के इस खेल में फिलहाल तो मोदी ही बड़े खिलाड़ी नजर आ रहे हैं।

Updated : 15 May 2019 3:14 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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