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जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने का मामला, पटियाला हाउस कोर्ट में फिर टली सुनवाई

- फाइल दिल्ली सरकार के पास लंबित, अब 19 फरवरी को होगी सुनवाई

जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने का मामला, पटियाला हाउस कोर्ट में फिर टली सुनवाई
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नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने के मामले में सुनवाई फिर टाल दी है। दरअसल, आज जांच अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में अभियोजन के लिए स्वीकृति देने की फाइल दिल्ली सरकार के पास लंबित है। उसके बाद कोर्ट ने 19 फरवरी को सुनवाई करने का आदेश दिया। पिछले 25 अक्टूबर को दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया था कि यह मामला अभी लंबित है। उसके बाद कोर्ट ने इस मामले के जांच अधिकारी को तलब किया था।

पिछले 18 सितंबर को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो अभियोजन चलाने के लिए स्वीकृति देने पर एक महीने में फैसला करें। पिछले 23 जुलाई को इस मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने कोर्ट को बताया था कि चार्जशीट पर अनुमति देने के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। तब कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी से मामले की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। पिछले 8 अप्रैल को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फैसला लेने लिए 23 जुलाई तक का समय दिया था। पिछले 5 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया था कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में जल्दबाजी में और गोपनीय तरीके से चार्जशीट दाखिल किया था। दिल्ली सरकार ने कहा था कि वे एक महीने में इस संबंध में फैसला कर लेंगे। पिछले 3 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले में अनुमति देने के मामले पर फैसला लेने में एक महीने का वक्त लग सकता है। तब चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वे यह बताएं कि आखिर कब तक इस मामले पर आप फैसला कर लेंगे। पिछले 30 मार्च को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा पटियाला हाउस कोर्ट में पेश हुए थे। उन्होंने कहा था कि इस मामले में केस चलाने के लिए अनुमति देना एक प्रशासनिक कार्य है और ये दिल्ली सरकार के पास लंबित है। तब चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने कहा था कि आपका काम खत्म हो गया, हम दिल्ली सरकार से पूछेंगे कि देर क्यों हो रही है। 29 मार्च को स्पेशल सेल के डीसीपी कोर्ट में पेश नहीं हुए थे जिससे कोर्ट नाराज हो गई थी और उन्हें 30 मार्च को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।

पिछले 11 मार्च को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि केस चलाने के लिए जरूरी अनुमति मिलने में दो-तीन महीने का समय लग सकता है। इस पर कोर्ट नाराज हो गई और कहा कि बिना अनुमति मिले चार्जशीट दाखिल करने की क्या हड़बड़ी थी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी से केस का अपडेट दाखिल करने का निर्देश दिया था। 11 मार्च को दिल्ली पुलिस के वकील ने बताया था कि इस मामले के जांच अधिकारी उपस्थित नहीं हैं क्योंकि वो हादसे के शिकार हो गए हैं। कोर्ट को बताया गया था कि दिल्ली सरकार ने चार्जशीट को पढ़ने के लिए दो-तीन महीने का समय मांगा है। पिछले 28 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा था कि दिल्ली सरकार ने अब तक केस चलाने की अनुमति नहीं दी है । तब कोर्ट ने कहा था कि हम वीडियो देखेंगे और अगर सरकार अनुमति नहीं देगी, तो भी हम सबूत का वीडियो देखकर कार्रवाई करेंगे। पिछले 6 फरवरी को ने कोर्ट दिल्ली पुलिस के चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था।

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि अभी चार्जशीट के लिए ज़रूरी मंजूरी दिल्ली सरकार से नहीं मिली है। कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट दायर करने से पहले अनुमति ले लेनी चाहिए थी। अब दिल्ली सरकार से कहिए वो जल्द मंजूरी दे। अनिश्चित समय तक ऐसे फ़ाइल को लटकाया नहीं जा सकता। पिछले 19 जनवरी को भी कोर्ट ने जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस के चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इन्कार कर दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि पूछा था कि बिना सरकार की अनुमति के कैसे चार्जशीट दाखिल कर दी गई। पिछले 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया था।

करीब 12 सौ पेजों की इस चार्जशीट में सीट में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्वाण भट्टाचार्य को आरोपित बनाया गया है। चार्जशीट में सात अन्य कश्मीरी छात्रों के भी नाम शामिल हैं। चार्ज शीट में देशद्रोह, धोखाधड़ी, इलेक्ट्रॉनिक धोखाधड़ी, गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होना, दंगा भड़काने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप लगाया गया है। उल्लेखनीय है कि 9 फरवरी 2016 को जेएनयू केपस में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्वाण भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल, तीनों जमानत पर हैं। इस मामले में अभियोजन की स्वीकृति देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। पिछले 4 दिसंबर को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि अभियोजन के लिए स्वीकृति देने के मामले पर कानून के मुताबिक फैसला करें।

Updated : 11 Dec 2019 10:10 AM GMT
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