नए भारत के रूपांतरण में विश्विद्यालयों की बड़ी भूमिका : प्रो.जगदीश कुमार

नईदिल्ली।विश्व विधालय अनुदान आयोग नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से नए भारत के रूपांतरण में एक मेंटर के रूप में काम कर रहा है अगले 25 साल भारत की ज्ञान परंपरा और अतुलनीय कौशल के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अमृतकाल के लिए जो पांच महा प्रण निर्धारित किये है उनकी प्राप्ति का रास्ता भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों से होकर ही गुजरेगा। विश्व विधालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो.एम जगदीश कुमार ने यह बात आज विशेष बातचीत में कही।
विधा भारती उच्च शिक्षा द्वारा आयोजित अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम में भाग लेने आये प्रो कुमार ने बताया कि भारत की युवा शक्ति और शिक्षकों को मिलकर नए भारत की नवोन्मेषी शक्ति के लिए मिलकर काम करने की आज आवश्यकता है।विश्व की सबसे युवा जनसंख्या हमारे यहां है और इसके अंतर्निहित कौशल के दृष्टिगत ही भारत की नई शिक्षा नीति देशज ज्ञान के आधार पर बहुविषयक एवं सांस्थानिक प्रविधि को प्रस्तावित करती है।
विदेशी विश्वविद्यालय कैम्पस को लेकर उठी सँभावनानाओं को खारिज करते हुए प्रो कुमार ने कहा कि हमारे विश्विद्यालयों की कीमत पर इस प्रयोग को अमल में नही लाया जा रहा है।इसके लिए बहुत सूक्ष्मता से विस्तृत फलक पर बहुआयामी अध्ययन किया गया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि भारतीय प्रतिभा वैशविक आवश्यकताओं और नवाचारों के अनुकूल खुद को प्रमाणित कर सकें।प्रो.कुमार ने स्पष्ट किया कि जो लोग इस प्रयोग की आलोचना कर रहे हैं उन्हें भारत से विदेश जाने वाले विधायर्थियों के आंकड़े भी देखना चाहिए।यह कोई बाध्यकारी समझौता नही बल्कि हमारे हितों के दृष्टिगत एक प्रयोग भर है।
प्रो कुमार ने मल्टी डिस्प्लेनरी पढ़ाई पर सवाल उठाने वालों पर स्पष्ट किया कि एक दौर में इंजीनियरिंग का मतलब केवल सिविल इंजीनियरिंग और मेडिकल का मतलब साधारण डॉक्टर ही था।समय की आवश्यकता के अनुरूप विशिष्टताओं के साथ ब्रांचों का विकास हुआ है।आज का दौर सुपर स्पेशलिटी का है इसलिए इंजीनियर को कानून का अध्ययन क्यों नही होना चाहिए।शोध के लिए बजट की कमी के जबाब पर प्रो कुमार ने कहा कि धन से ज्यादा महत्वपूर्ण पक्ष वचनबद्धता औऱ समर्पण की है हम अपने उपलब्ध शैक्षणिक संसाधनों का कितना उपयोग कर पा रहे है यह भी समझना चाहिए।यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के मध्य संसाधनों के आपसी अनुप्रयोग के लिए एक मॉडल गाइडलाइंस जारी की हैं।अब एक संस्थान के लैब,लाइब्रेरी का प्रयोग दूसरे संस्थान के विद्यार्थी भी कर सकेंगे।इस नवाचार से राष्ट्रीय संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा।
प्रो.कुमार ने फैकल्टी को लेकर स्पष्ट किया कि अभी बुनियादी रूप से कक्षा में शिक्षक एक अच्छे फैकल्टी मेंबर के रूप में अपनी पहचान चाहता है जबकि मेरा मत है कि उसे एक मेंटर के रूप में अपनी भूमिका को तलाशना चाहिये।एक प्रमाणिक मार्गदर्शक अपने विद्यार्थियों को आदि शंकराचार्य के सूत्र"पठन,मनन,चिंतन एवं संकीर्तन" में स्थायी रूप से ढालता है और नई शिक्षा नीति बुनियादी रूप से इसी सीखने की प्रक्रिया को व्यापक रूप में स्थापित करती है।
मल्टी एक्जिट मल्टी एंट्री प्रावधान की आलोचनाओं का जबाब देते हुए प्रो कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षण तंत्र और तौर तरीकों को छात्रों के पक्ष में लचीला बनाना है।यह प्रावधान उस बड़े समूह को कवर करता है जो आर्थिक एवं पारिवारिक वजहों से पढ़ाई पूरी नही कर पाते है।ताजा नवाचारों की चर्चा करते हुए प्रो.कुमार ने बताया कि हमने उच्च शिक्षण क्षेत्र के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक समावेशी मॉड्यूल विकसित किया है क्योंकि हम मानते हैं कि शिक्षकों को सतत रूप से प्रशिक्षण की विधा से जुड़े ही रहना चाहिए।यह ट्रेनिंग मॉड्यूल हाइब्रिड रूप में उपलब्ध है और इसे समयानुकूल आवश्यकताओं को देखकर बनाया गया है।
"नेशनल डिजिटल यूनिवर्सिटी " को ऐसा ही प्रमुख नवाचार निरूपित करते हुए उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में समावेशी सकल नामांकन के लिए यह प्रयोग मील का पत्थर साबित होगा।इसके माध्यम से देश के ग्रामीण एवं कस्बाई क्षेत्रों में बच्चों को सार्वभौमिक शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी।इसी तरह प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस का प्रयोग भी हमारे विश्विद्यालयों में अपने अपने क्षेत्र के लब्ध प्रतिष्ठित एवं सफल व्यक्तियों को शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा बनाने का काम करेगा।प्रो कुमार ने बातचीत में दोहराया कि अमृत काल के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जो 5प्रण का आह्वान किया है इसमें पहला प्रण है कि हमें बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा। दूसरा प्रण है कि हमारे मन में गुलामी का अगर एक अंश भी है तो उसे बचने नहीं देना है। तीसरा प्रण है कि हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। चौथा प्रण है एकता और एकजुटता। पांचवां प्रण है नागरिकों का कर्तव्य।इन सभी को साकार करने के लिए नई शिक्षा नीति एक सशक्त माध्यम है।और देश के उच्च शिक्षा संस्थान इसके सबसे महत्वपूर्ण घटक है।
