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भूपेंद्र हुड्डा लुटियन जोन से बाहर

भूपेंद्र हुड्डा लुटियन जोन से बाहर
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नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में आमतौर पर प्रोटोकॉल की बातचीत को सार्वजनिक नहीं किए जाने की परंपरा रही है। लेकिन हाल के कुछ दिनों में यह परंपरा अब टूटती नजर आ रही है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संसद के सेंट्रल हाल में हुई मुलाकात को लेकर कयासबाजी थी कि मोदी -हुड्डा के बीच अच्छे सद्भाव के चलते हुड्डा को लुटियन जोन से शायद ही बाहर किया जाए। दोनों नेताओं की मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा था लेकिन हुड्डा को जब बंगला खाली करने का नोटिस मिला तो कयासबाजी धरी की धरी रह गई।

पंत मार्ग स्थित हुड्डा की कोठी पिछले 30 सालों से उनके कब्जे में थी। हुड्डा जब हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, उनके बेटे दीपेन्द्र हुड्डा लोकसभा सांसद थे, और उन्हें आवास आबंटित किया गया था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद हुड्डा के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। हुड्डा का कहना है उन्होंने कभी भी विस्तार की बात नही की। इसके बाद कई दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है कि हुड्डा को लुटियन जोन से बाहर किया गया है।

उनके फुफेरे भाई चौधरी बीरेन्द्र सिंह भी आजकल खूब चर्चा में हैं। उन्होंने हाल ही में राज्यसभा से इस्तीफा दिया था, जो स्वीकार कर लिया गया है। 22 अकबर रोड का अपना मंत्री का बंगला भी खाली कर दिया है। बीरेंद्र सिंह अब 16, तालकटोरा रोड पर चले गए हैं। वे चाहते हैं कि यह बंगला उनके सांसद बेटे बरजिंदर सिंह के नाम आबंटित कर दिया जाए, लेकिन सरकार अनिच्छुक है।

सरकार ने हाल ही में कांग्रेस के कई सांसदों को लुटियन जोन में आबंटित बंगलों को खाली करने का नोटिस जारी किया था। दरअसल, नेतालोग लुटियन जोन में किसी तरह बंगला मिल जाने के बाद खाली नहीं करते। सरकारी मशीनरी नजदीक होने के चलते उन्हें ये बंगले मुफीद पड़ते हैं। तभी नेतागण इन बंगलों पर कब्जा बनाये रखने के लिए कभी बेटे-बेटियों तो कभी उत्तराधिकारियों को संसद में भेजने की जुगत में लगे रहते हैं। लोकसभा हारने के बाद फिर राज्यसभा की जुगत भिड़ाई जाती है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद लुटियन जोन में कब्जे वाली राजनीति पर लगाम लगाई जा रही है।

Updated : 8 Dec 2019 3:44 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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