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किस आधार पर दिया संतों को राज्यमंत्री का दर्जा

उच्च् न्यायालय ने प्रदेश सरकार से मांगा जवाब

किस आधार पर दिया संतों को राज्यमंत्री का दर्जा
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इंदौरमध्य प्रदेश सरकार को उच्च न्यायालय में बताना होगा कि किस आधार पर पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने का निर्णय लिया गया था। शासन को दो सप्ताह में जवाब देना है। न्यायालय ने यह आदेश दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। इसी साल अप्रैल में भी न्यायालय ने सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा था, लेकिन याचिका में जिस विभाग को पक्षकार बनाया गया था, उसका अस्तित्व ही नहीं है। पिछली सुनवाई पर न्यायालय ने याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने को कहा था। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने करीब चार महीने पहले पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने की घोषणा की थी, संत भय्यू महाराज भी इनमें शामिल थे। हालांकि, उन्होंने राज्यमंत्री का दर्जा स्वीकारने से इन्कार कर दिया था। इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता रामबहादुर वर्मा ने एडवोकेट गौतम गुप्ता के माध्यम से उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि पहले से मंत्री परिषद गठित होने के बावजूद पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने से प्रदेश की जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। सर्वे के मुताबिक, राज्य के हर नागरिक पर औसतन 14 हजार रुपये कर्ज है। संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने के साथ ही उन्हें भत्ते व अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं। इसका आर्थिक बोझ प्रदेश की जनता पर आएगा। यह भी स्पष्ट नहीं है कि राज्यमंत्री का दर्जा देने के लिए संतों का चयन किस आधार पर किया गया था। जिन संतों को यह दर्जा दिया गया वे दर्जा मिलने से कुछ दिन पहले तक सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। सोमवार को हुई सुनवाई में न्यायालय ने शासन से इस मामले में दोबारा जवाब मांगा है। न्यायालय ने यह चेतावनी भी दी कि दो सप्ताह में जवाब नहीं आया तो हर्जाना भी लगाया जा सकता है।

Updated : 17 July 2018 10:28 AM GMT
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स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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