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211 छात्रों के फर्जी खातों से 32 लाख निकाले

आदिम जाति कल्याण विभाग की मिली भगत से करोड़ों का छात्रवृत्ति घोटाला

211 छात्रों के फर्जी खातों से 32 लाख निकाले
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ग्वालियर। शासकीय विभागों में बैठे अधिकारी व कर्मचारी सरकार को किस तरह लाखों की चपत लगा रहे हैं। इसका खुलासा होने के बाद पुलिस भी हैरान है। अधिकारियों की मिली भगत से शिक्षा माफिया ने बैंकों में छात्रों के फर्जी खाते खोलकर 32 लाख रुपए निकाल लिए। पुलिस ने जांच-पड़ताल के बाद फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ चार मामले दर्ज कर आरोपियों की सगरर्मी से तलाश प्रारंभ कर दी है।

फरवरी 2018 में एक छात्रा की शिकायत पर अजाक पुलिस ने आदिम जाति कल्याण विभाग की मिली भगत से किया गया लाखोंंं रुपए का छात्रवृत्ति घोटाला पकड़ा था। जांच-पड़ताल के बाद पुलिस ने एक बार फिर लाखों रुपए के फर्जीवाड़े का रहस्योदघाटन किया है। सहायक आयुक्त कार्यालय आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी व कर्मचारी, व्हीआईपीएस महाविद्यालय ग्राम खुरैरी के प्राचार्य, संचालकगण, शासकीय श्यामलाल पाण्डवीय महाविद्यालय मुरार के प्राचार्य पी.डी. शाक्य, यूनियन बैंक सराफा बाजार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा करहिया के अधिकारी और कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा कर 211 छात्रों के फर्जी खातों से 32 लाख रुपए निकाले थे। खुरैरी स्थित व्हीआईपीएस महाविद्यालय के प्राचार्य और संचालकगणों ने छात्रों के फर्जी खाते खोले। बताया गया है कि फर्जीवाड़ा इतने शातिराना अंदाज में किया गया कि किसी को जानकारी ही नहीं लग सकी। नाम किसी छात्र का तो फोटो किसी अन्य छात्र का लगाकर बैंक खाते खोले गए, जिन्हें एसएलपी महाविद्यालयय के प्राचार्य ने बिना जांच-पड़ताल के पास कर दिया। बाद में आदिम जाति कल्याण विभाग और महाविद्यालय माफिया ने अपने खातों में लाखों रुपए की रकम डलवा ली। फर्जीवाड़े का पता चलते ही मुरार पुलिस ने नगर पुलिस अधीक्षक मुनीष राजौरिया की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 469, 120बी 409, 3 (2) हरिजन एक्ट के तहत मामले दर्ज किए हैं।

चार मामले हुए दर्ज:- 10 जून 2015 से 17 जून 2015 तक व्हीआईपीएस महाविद्यालय के प्राचार्य व संचालकगण, एसएलपी महाविद्यालय के प्राचार्य पी.डी. शाक्य, आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी व कर्मचारी, यूनियन बैंक व स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारी व अधिकारी आदि के द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया। इस पर इन सभी के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया। इसी तरह 12 अप्रैल 2015 से बीओआई शाखा अधिकारी सिटी सेंटर, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा करहिया के अधिकारी कर्मचारियों ने फर्जीवाड़ा किया। इनके विरुद्ध भी मुरार थाने में तीन मामले दर्ज किए गए हैं।

इनको किया था गिरफ्तार

आदिम जाति कल्याण विभाग के कम्प्यूटर ऑपरेटर रवि माहौर और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सेवानिवृत्त प्रबंधक राधेश्याम गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों की मिली भगत से ही रकम निकाली जा रही थी। उस समय लेखाधिकारी ओ.पी. शर्मा पकड़ा नहीं गया था।

बहुत बड़ी है फर्जीवाड़ा करने वालों की चेन

नगर पुलिस अधीक्षक मुरार मुनीष राजौरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि आदिम जाति कल्याण विभाग, बैंकों और महाविद्यालयों के प्राचार्यों की मिली भगत से करोड़ों रुपए फर्जी छात्रों के खाते खोलकर निकाले गए हैं, जबकि न तो ये छात्र महाविद्यालय में पढ़ रहे हैं और न ही उनका कहीं लेखाजोखा है। फर्जी फोटो, नाम व पते के सहारे धोखाधड़ी की जा रही है।

ऐसे हुआ था खुलासा

मुरैना की रहने वाली छात्रा कुसुम जाटव ने शिकायत की थी कि उसके नाम से प्रखर महाविद्यालय से छात्रवृत्ति निकाली गई है। मुरैना जय माता दी महाविद्यालय में प्रवेश लेने पर उसे यह जानकारी मिली। कुसुम कभी प्रखर महाविद्यालय में पढ़ी ही थी नहीं थी। फर्जीवाड़े का पता चलने पर कुसुम ने अजाक थाने में शिकायत की थी। अजाक पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र जैन और उनकी टीम ने लाखों रुपए के घाटाले का खुलासा किया था।

Updated : 30 Oct 2018 11:46 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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