निजी संस्थाओं को लाभ देने के लिए स्थगित कराया गांधी शिल्प बाजार

निजी संस्थाओं को लाभ देने के लिए स्थगित कराया गांधी शिल्प बाजार
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देश भर से आने वाले शिल्पी हुए मायूस, जिलाधीश को देंगे ज्ञापन

ग्वालियर, न.सं.। निजी संस्थाओं को लाभ दिलाने के लिए भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय द्वारा ग्वालियर व्यापार मेले में लगाया जाने वाला गांधी शिल्प बाजार कुछ अधिकारियों की मनमानी के कारण स्थगित हो गया है। अब यह मेला कब लगेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है। गांधी शिल्प बाजार के स्थगित होने से शिल्पियों में मायूसी छा गई है। जानकारी के अनुसार यह शिल्पी इस संबंध में जिलाधीश कौशलेन्द्र विक्रम सिंह को ज्ञापन दे सकते हैं। इस संबंध में जब मध्य प्रदेश हस्तशिल्प विकास विकास निगम की प्रबंध संचालक अनुभा श्रीवास्तव से बात करना करना चाही तो उन्होंने कॉल ही रिसीव नहीं किया। इसके बाद मोबाइल को बंद कर लिया। वहीं मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम के कई अधिकारियों ने फोन उठाना ही उचित नहीं समझा।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय के मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम द्वारा ग्वालियर व्यापार मेले में 16 से 25 दिसंबर तक गांधी शिल्प बाजार का आयोजन किया जाना था। इस शिल्प बाजार में देश भर से 100 शिल्पियों को बुलाया जाना था, लेकिन अधिकारियों की मनमानी के कारण गांधी शिल्प बाजार शुरू होने से पहले ही स्थगित करवा दिया गया। यहां तक की कुछ तैयार दुकानों को भी उखड़वा दिया गया। अब विभाग के कुछ लोगों द्वारा इन शिल्पीयों को फोन और संदेश के माध्यम से सूचित किया जा रहा है कि गांधी शिल्प मेला स्थगित हो गया है अब वे यहां पर नहीं आएं।

एनजीओ से होती है खूब कमाई:-

मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम के एक अधिकारी द्वारा इस शिल्प बाजार को कुछ निजी एनजीओ को देने की तैयारी की जा रही है। इन एनजीओ से इन अधिकारी महाशय को अच्छा सुविधा शुल्क मिलता है। इसलिए इन महाशय ने शिल्पियों को यह स्थान देना उचित नहीं समझा। इसका मुख्य कारण यह है कि इन शिल्पियों से मिलता कुछ नहीं है बल्कि उन्हें उल्टा देना ही होता है। इस दृष्टि से यह घाटे का सौदा होता है। सूत्रों के अनुसार आने वाले निजी एनजीओ की संख्या लगभग तीन ही है।

32 वर्ष से लग रहा है गांधी शिल्प बाजार:-

जानकारी के अनुसार शिल्पकारों को प्रोत्साहित करने के लिए शिल्प बाजार की कल्पना ग्वालियर के तत्कालीन संभागायुक्त स्व. अजय शंकर ने की थी। मेले में पहला शिल्प बाजार 25 दिसंबर 1988 से 25 जनवरी 1989 तक 11-11 दिन के तीन चरणों में कला मंदिर के पास लगाया गयाथा। इसमें 150 शिल्पियों ने भाग लिया था। इसके बाद शिल्प बाजार की अवधि घटा दी और यह 10 दिन का ही रह गया। इस दौरान आने वाले शिल्पियों को नि:शुल्क दुकान उपलब्ध कराने के साथ दैनिक भत्ता भी प्रदान किया जाता है।

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