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संविधान की मूल प्रति बनी आकर्षण का केन्द्र

संविधान की मूल प्रति बनी आकर्षण का केन्द्र
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ग्वालियर,न.सं.। इस साल पूरा देश अपना 74 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। 26 जनवरी 1950 को ही भारतीय संविधान को आत्मसात किया गया था। संविधान के बारे में सब ने सुना है लेकिन बहुत ही कम लोग होंगे, जिन्होंने संविधान की मूल प्रति को देखा है।

देश के अलग-अलग शहरों में रखी संविधान की 16 मूल प्रतियों में से एक को ग्वालियर में अब डिजिटली पढ़ा जा सकता है। महाराज बाड़ा स्थित केंद्रीय पुस्तकालय में रखी भारत के संविधान की मूल प्रति को स्मार्ट सिटी ने डिजिटलाइज किया है। इस प्रति को पुस्तकालय में लगी बड़ी टच स्क्रीन के माध्यम से एक-एक पेज पलटकर पढ़ा जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि 29 अगस्त 1947 को संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन हुआ। 26 नवंबर 1949 को पूर्ण रूप से संविधान तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को इसे देश में लागू किया गया। संविधान की इस मूल प्रति को 31 मार्च 1956 को ग्वालियर लाया गया था। इसके आवरण पृष्ठ पर स्वर्ण अक्षर अंकित हैं। प्रति में कुल 231 पेज हैं। इतना ही नहीं, संविधान सभा के 285 सदस्यों के मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति में मौजूद हैं।

साल में सिर्फ तीन बार देख सकते हैं मूल प्रति

केंद्रीय पुस्तकालय में रखी संविधान की मूल प्रति को साल में सिर्फ तीन बार देखने को मिलती है। जिसमें 25 जनवरी, 14 अगस्त और 26 नवंबर यानी संविधान दिवस के दिन ही मूल प्रति को आम जनता के लिए एक शो केस में रखा जाता है।

लाइब्रेरी में इसके डिजिटल संस्करण को दिखाने के लिए एक अलग से गैलरी बनाई गई है।

खास है यह संविधान की मूल प्रति

केंद्रीय पुस्तकालय में रखी संविधान की मूल प्रति कई मायने में खास है। इसके कवर पेज पर स्वर्ण अक्षर से भारतीय संविधान (इंडियन कॉन्स्टीट्यूशन) अंकित है। प्रति के कुल 231 पेज हैं जिनमें संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक का उल्लेख है। संविधान सभा के 286 सदस्यों के मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति में मौजूद हैं। इनमें बाबा साहब भीमराव अंबेडकर से लेकर डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू और फिरोज गांधी तक के हस्ताक्षर शामिल हैं।

462 लोगों ने देखी मूल प्रति

संविधान की मूल प्रति एवं डिजिटल प्रति आमजन को देखने के लिए बुधवार को सुबह 10.30 से 5.30 तक पुस्तकालय के भव्य हॉल में उपलब्ध रही। मूल प्रति को देखने के लिए 462 लोग आए, जिसमें छोटे बच्चे, बुजुर्ग, एवं महिलाएं तथा कई लोग जिले के बाहर से भी देखने आए।

इनका कहना है

बारिश का मौसम था परंतु उसके बावजूद भी इतने सारे लोगों को आकर संविधान को देखना और उसके बारे में जानकारी लेना एक बहुत ही प्रेरणादायक तथ्य है। लोग डिजिटल वर्जन पसंद कर रहे हैं।

विवेक कुमार सोनी

पुस्तकालय प्रबंधक

शासकीय केंद्रीय पुस्तकालय ग्वालियर मध्य प्रदेश

Updated : 26 Jan 2023 12:30 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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