गुरुद्वारा के नवनिर्माण में 600 कारसेवकों ने की सेवा
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दूसरी मंजिल की छत डालने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर किया काम
ग्वालियर, न.सं.
कारसेवा का विचार मात्र मन में आने भर से ही एक ऐसी छवि जेहन में उभरती है, जो समभाव, श्रम सेवा, त्याग और गुरु के प्रति सच्ची लगन को प्रदर्शित करती है। गुरु की प्रेरणा से सिख संगत मिलकर बड़े से बड़े असंभव से कार्यों को बड़ी ही सरलता से पूर्ण कर देती है। इसका नजारा रविवार को फूलबाग गुरुद्वारे पर देखने को मिला।
यहां निमार्णाधीन भवन की दूसरी मंजिल की छत ढालने के लिए कोई मजदूर नहीं बुलाया गया। अंचल भर से आए 600 कार सेवक कंधे से कंधा मिलाकर कारसेवा में जुटे हुए हैं। इस कारसेवा में न कोई बड़ा है, न कोई छोटा, न जाति है न अमीर-गरीब, महिला, पुरुष के बीच का भेद, सभी कंधे से कंधा मिलाकर कारसेवा में जुटे हैं। सिख संगत के साथ हिन्दू व मुस्लिम सहित अन्य धर्मों के लोग भी कारसेवा कर रहे हैं।
बाबा सेवासिंह की प्रेरणा से की कारसेवा
दाता बंदी छोड़ किला गुरुद्वारा के मुख्य सेवादार बाबा लक्खा सिंह ने बताया कि अभी संगत छत की ढलाई दूसरी मंजिल के काम में जुटी हुई है। इससे पहले संगत ने पिछले माह यहीं पर 126&85 फीट की छत भी इसी प्रकार बनाकर तैयार कर दी थी। उन्होंने बताया कि यह भवन चार मंजिल का बनना है, जिसमें हॉल, लंगर कक्ष, मैरिज प्लेस व पार्किंग शामिल है। सिख संगत को कारसेवा का लक्ष्य दिया जाता है, उसे वह पूरा कर लेती है। संगत के लिए गुरुघर और जनसेवा से बढक़र और कुछ भी नहीं है। कारसेवकों के लिए फूलबाग गुरुद्वारे मेें चाय नाश्ते का इंतजाम किया गया था। दोपहर में लंगर भी सभी ने गुरुद्वारे में ही छका। इस मौके पर ढाई हजार लोगों ने लंगर में प्रसादी ग्रहण की।
Naveen Savita
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