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स्वाइन फ्लू से पहली मौत, एक और मरीज को हुई पुष्टि

स्वाइन फ्लू से पहली मौत, एक और मरीज को हुई पुष्टि
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अस्पतालों में नहीं कोई तैयारी नहीं हैं पर्याप्त दवाएं

ग्वालियर, न.सं.

स्वाइन फ्लू को लेकर स्वास्थ्य विभाग भले ही सक्रियता के लाख दावे करे, मगर अस्पतालों में स्वाइन फ्लू से निपटने को लेकर कोई तैयारी नहीं है। हर बीमारी के प्रकोप से पहले ही तैयारी पूरी हो जाना चाहिए, लेकिन देर से जागना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की फितरत है। इसका उदाहरण स्वाइन फ्लू ही है। स्वाइन फ्लू से महिला की मौत होने और एक मरीज को स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने के बाद अब स्वास्थ्य अधिकारियों की नींद टूटी है और हरकत में आए हैं। वहीं स्वाइन फ्लू से हुई महिला की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम घर का निरीक्षण करने पहुंची, लेकिन पार्याप्त दवा न होने पर खानापूर्ति कर लौट गई। कोटेश्वर तिराहा निवासी 30 वर्षीय महिला का उपचार पिछले तीन दिनों से दिल्ली के सरगंगाराम अस्पताल में चल रहा था, जहां जांच में महिला को स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई थी। महिला की स्थिति ज्यादा गंभीर होने के चलते उसे वेन्टीलेटर पर रखा गया था, लेकिन शुक्रवार को सुबह महिला की मौत हो गई। इसी तरह जयारोग्य चिकित्सालय में भर्ती बीएसएफ टेकनपुर के एक 56 वर्षीय बुजुर्ग के स्वाइन फ्लू की संभावना के चलते नमूने डीआरडीओ भेजा गया था। रिपोर्ट में बुजुर्ग को भी स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। इधर महिला की मौत के बाद महामारी विशेषज्ञ डॉ. महेन्द्र पिपरोलिया शुक्रवार को सुबह मृतक महिला के घर जांच के लिए पहुंचे। इस दौरान डॉ. पिपरोलिया के साथ सिर्फ दो एएनएम ही थीं। इतना ही नहीं मृतक महिला के घर में आठ सदस्य मौजूद थे, लेकिन डॉ. पिपरोलिया के पास न तो पर्याप्त दवाएं थीं और न ही मॉस्क। इस कारण डॉ. पिपरोलिया ने कम मात्रा में दवा वितरण की और खानापूर्ति कर लौट गए।

बच्ची को कराया भर्ती

मृतका की ढाई वर्ष की बच्ची की हालत ज्यादा खराब होने पर डॉ. पिपरोलिया बच्ची को लेकर कमलाराजा अस्पताल पहुंचे और उसे स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती कराया, जहां डॉ. घनश्याम दास ने बच्ची को स्वाइन फ्लू की संभावना के चलते नमूना लिया, जिसे जांच के लिए डीआरडीओ भेजा जाएगा।

कुछ घरों का सर्वे कर लौटी टीम

स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम को मरीज के घर के आसपास करीब 50 घरों का सर्वे करना होता है, लेकिन डॉ. पिपरोलिया सिर्फ कुछ ही घरों का सर्वे कर लौट गए। इतना ही नहीं, उन्होंने यह तक पूछना जरूरी नहीं समझाा कि किसी को कोई परेशानी तो नहीं है।

सीएमएचओ बरत रहे लगातार लापरवाही

स्वाइन फ्लू को लेकर प्रदेश सहित ग्वालियर में भी अलर्ट गत माह ही जारी किया गया था, लेकिन सीएमएचओ डॉ. मृदुल सक्सेना ने अलर्ट को गंभीरता से लिया ही नहीं। इतना ही नहीं, महामारी विशेषज्ञ डॉ. पिपरोलिया दो से तीन बार दवा उपलब्ध कराने को लेकर पत्र भी लिख चुके हैं। इसके बाद भी उन्हें दवा उपलब्ध नहीं कराई गई। इसी के चलते गत दिवस मृतका के परिजन बच्ची को दवा उपलब्ध कराने के लिए भटकते रहे और जिलाधीश से शिकायत करने के बाद ही दवा उपलब्ध हो पाई थी।

यह है दवाओं की स्थिति

सीएमएचओ स्टोर में टेमी फ्लू की सिर्फ 50 टेबलेट, बच्चों के लिए 18 सीरप और एन-95 मॉस्क करीब 500 हैं, साथ ही स्टोर में नमूने लेने के लिए बीटीएम किट सिर्फ 38 और सैंपलिंग के दौरान पहनने वाली पीटी किट 10 हैं।

सिविल सर्जन स्टोर में टेमी फ्लू टेबलेट 500 और बच्चों के सीरप सिर्फ 10 हैं।

यह हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण

सर्दी जुकाम, सूखी खांसी, थकान होना, सिरदर्द और आंखों से पानी आना। इसके अलावा स्वाइन फ्लू में सांस भी फूलने लगती है। अगर संक्रमण गंभीर है तो बुखार तेज होता जाता है।

ये बरतें सावधानियां

गंभीर बीमारियों से ग्रसित, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले, सर्दी-जुकाम से पीडि़त, बच्चे और बुजुर्गो को विशेष तौर से सावधानी बरतने की जरूरत है।

इस बीमारी से बचने के लिए स्वच्छता का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। खांसते और छींकते समय टीशू से कवर रखें।

बाहर से आकर हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं और सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें।

जिन लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण हों, उन्हें मॉस्क पहनना चाहिए और घर में ही रहना चाहिए।

स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज से संपर्क व हाथ मिलाने से बचें।

Updated : 2 Feb 2019 3:07 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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