Home > राज्य > मध्यप्रदेश > ग्वालियर > नेरोगेज ट्रैक पर आसान नहीं है हैरीटेज ट्रेन की राह

नेरोगेज ट्रैक पर आसान नहीं है हैरीटेज ट्रेन की राह

नेरोगेज ट्रैक पर हैरीटेज ट्रेन चलाने के लिए रविवार को जिला प्रशासन और रेलवे अधिकारियों ने ग्वालिसर से बानमौर तक संयुक्त सर्वे किया।

नेरोगेज ट्रैक पर आसान नहीं है हैरीटेज ट्रेन की राह
X

ग्वालियर | नेरोगेज ट्रैक पर हैरीटेज ट्रेन चलाने के लिए रविवार को जिला प्रशासन और रेलवे अधिकारियों ने ग्वालिसर से बानमौर तक संयुक्त सर्वे किया। इस सर्वे में जिला प्रशासन और रेलवे अधिकारियों ने यह देखा कि किस तरह हैरीटेज ट्रेन को बानमौर तक चलाया जाए। लेकिन इस ट्रैक पर हैरीटेज ट्रेन चलाना आसान नहीं दिख रहा है। क्योंकि रेलवे अपने सिर्फ संसाधन उपलब्ध करा सकता है। लेकिन भविष्य के लिए इस ट्रेन को चलाने के लिए पैसा कहां से आएगा, यह चिंता का विषय है। बीते दिनों रेलवे अधिकारियों ने फिजिबिलिटी सर्वे किया था। जिसमें रेलवे अधिकारियों ने जिला प्रशासन को बताया कि उन्हें सर्वे में कोई भी संभावनाएं नहीं दिख रही है।

जिसके चलते रविवार की सुबह जिला प्रशासन की ओर से जिलाधीश अशोक वर्मा, एडीएम शिवराज वर्मा, तहसीलदार भूपेन्द्र सिंह व रेलवे की ओर से सीनियर डीसीएम विपिन कुमार सिंह, मुख्य वाणिज्य निरीक्षक अनिल श्रीवास्तव, जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ग्वालियर से चलने वाली नैरोगेज ट्रेन में सवार हुए। इस दौरान विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। जिसमें यह देखा गया कि ट्रेन को चलाने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है। इस सर्वे के बाद जिला प्रशासन से प्राप्त प्रस्ताव को एक बार फिर मुख्यालय भेजा जाएगा। जिसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। साथ ही अगर इस ट्रेन को चलाना है तो इसके लिए पीपीपी मॉडल के तहत इस ट्रेन को चलाने का ठेका दिया जा सकता है। रेलवे अधिकारियों व जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बानमौर में काफी देर तक गहन मंथन किया, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं निकल पाया है।

मोतीझील से बानमोर तक बनाना होगा हैरीटेज जोन:- अगर हैरीटेज ट्रेन को चलाया जाता है, तो उसके लिए मोतीझील स्टेशन से लेकर बानमौर तक हैरीटेज जोन बनाना होगा। जिससे यादि कोई सैलानी जब इस ट्रेन में बैठे, तो उसे एहसास हो कि वह वाकई किसी हैरीटेज जगह में घूमने के लिए आए है। लेकिन यह सब करना इतना आसान इसीलिए नहीं है,क्योंकि इस रेल मार्ग पर अतिक्रमणकारियों ने अतिक्रमण कर रखा है, जिसे हटाना जिला प्रशासन के लिए टेड़ी खीर साबित होगा।

सीनियर डीसीएम बोले, अभी और होगी चर्चा

जिला प्रशासन के साथ संयुक्त सर्वे करने के बाद रविवार को स्वदेश से चर्चा के दौरान सीनियर डीसीएम विपिन कुमार सिंह ने बताया कि रेलवे अधिकारियों ने बोर्ड के निर्देश पर सर्वे किया था और रिपोर्ट भी बनाई थी। लेकिन बाद में संयुक्त सर्वे करने की बात सामने आई, तो रविवार को संयुक्त सर्वे भी किया गया। जिसमें कई नई संभावनाएं तलाशी गई है। लेकिन अभी इन सभी पर सिर्फ विचार किया जा रहा है। आगामी दिनों में जिला प्रशासन के साथ फिर बैठक करेंगे, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।

अगर बात बनी, तो भी मोतीझील से चलेगी ट्रेन

बताया जा रहा है कि ग्वालियर से बानमोर के बीच हैरीटेज ट्रेन को चलाने के लिए मोतीझील स्टेशन को चुना जा सकता है। क्योंकि ग्वालियर से इस ट्रेन को किसी भी हालत में संचालित नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में ग्वालियर से नैरागेज ट्रेन श्योपुर के लिए रवाना होती है। लेकिन थर्ड लाइन के आने पर छोटी लाइन के ट्रैक को खत्म किया जाएगा। जिसके चलते इस ट्रेन को चलाने की संभावना सिर्फ मोतीझील से की जा सकती है।

हटाना होगा अतिक्रमण

अगर हैरीटेज ट्रेन को चलाया जाएगा, तो उसके लिए जिला प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। क्योंकि वर्तमान में ग्वालियर से लेकर बानमोर तक छोटी लाइन के किनारे लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। यह अतिक्रमण जिला प्रशासन ने रविवार को सर्वे के दौरान देखा भी। लेकिन इस बारे में कोई भी जिला प्रशासन का अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।

रेलवे का फोकस ब्रॉडगेज पर

इन दिनों रेलवे का मुख्य फोकस बानमोर से श्योपुर तक नैरोगेज ट्रैक को ब्रॉडगेज में तब्दील करना है। लेकिन अब चिंता यह है कि ग्वालियर से बानमोर के बीच छोटी लाइन के 20 किमी के ट्रैक का क्या होगा। हालांकि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी इस 20 किमी के रेलवे ट्रैक पर हैरीटेज ट्रेन को चलाने की योजना बना रहे हैं और इसके लिए वह अधिकारियों को निर्देशित भी कर चुके हैं।

प्रशासन को बनानी होगी योजना

अरग हैरीटेज ट्रेन को चलाना है तो जिला प्रशासन को योजना बनाना होगी। इस योजना में रेलवे के अधिकारी पूरी मदद करने को तैयार है। लेकिन सूत्रों की माने तो जिला प्रशासन के अधिकारी भी इस ट्रेन को चलाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। रविवार को सर्वे के दौरान जिलाधीश अशोक वर्मा सहित अन्य अधिकारियों ने जब अतिक्रमण देखा, तो वह कुछ बोल ही नहीं पाए।



Updated : 2 July 2018 12:48 PM GMT
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top