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ग्वालियर : प्रशासक बनते ही शहरवासियों पर थोपा बोझ, सफाई कर के नाम पर होगी जनता की जेब ढीली

नगर निगम अधिकारियों की होगी पौ बारह, जनता में गुस्सा

ग्वालियर : प्रशासक बनते ही शहरवासियों पर थोपा बोझ, सफाई कर के नाम पर होगी जनता की जेब ढीली
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ग्वालियर,न.सं.। स्मार्ट सिटी वाले महानगर में इस बार नगर निगम के चुनाव समय पर नहीं होने का खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद महापौर विहीन चली परिषद के बाद परिषद का कार्यकाल समाप्त होते ही नगर निगम के अधिकारी अब फुल पावर में आ गए हैं। बीते रोज शासन द्वारा संभागीय आयुक्त को नगर निगम का प्रशासक नियुक्त किए जाने के साथ ही पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद प्रशासक ने अपने तुगलकी फरमान जारी कर शहरवासियों पर सफाई शुल्क (यूजर चार्ज) का बोझ डाल दिया है। कमर तोड़ महंगाई से वैसे भी लोग परेशान थे, ऐसे में नगर निगम द्वारा थोपा गए सफार्ई कर से लोगों की जेब ढीली होगी। वहीं नगर निगम के अधिकारियों तथा कर्मचारियों के लिए यह कर कमाई का नया जरिया बन जाएगा। शहर भले ही स्मार्ट सिटी नहीं बन पा रहा है। जगह-जगह लगे कचरे के ढेर नगर निगम की लापरवाही की पोल खोल रहे हैं। निवर्तमान पार्षदों का कहना है कि यह कर जहां जनता पर बोझ है, वहीं यह निर्णय ठेकेदारों और अधिकारियों की जेबे भरने के लिए लिया गया है। शहरवासी पहले ही संपत्तिकर के साथ समेकित कर चुका रहे हैं। इस नए कर का भार दो कमरे के मकान में रहने वालों पर भी पड़ेगा।

कई क्षेत्रों में देना पड़ रहा है सुविधा शुल्क

शहर में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों को सुविधा शुल्क देना पड़ रहा है। इन जगहों पर निगम कर्मचारी सफाई नहीं करते, यहां निजी लोग सफाई करते हैं और पैसे वसूलते हैं। लेकिन जानकारी होने के बाद भी नगर निगम अधिकारी इन पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। शहर में किलेदार व्यवस्था अभी भी लागू है, जिसके तहत क्षेत्र बंटा हुआ है। इन क्षेत्रों में कोई दूसरा आकर सफाई नहीं कर सकता। किलेदार व्यवस्था के तहत जिस कॉलोनी में झाडू लगाने का जिम्मा होता है, वहां निगम सफाई नहीं कराती है।

सफाई कर्मचारी 20 से 50 रुपए वसूलते हैं

कचरे के लिए गाड़ी तो जाती है लेकिन झाडूृ निजी व्यक्ति द्वारा ही लगाई जाती है। यहां सफाईकर्मी हर घर से 20 से 50 रुपए महीने वसूलते हैं। इस हिसाब से एक व्यक्ति को साल में करीब 600 रुपए तक देने पड़ते हैं, जबकि निगम को भी कर अदा किया जा रहा है। इसके बावजूद लोगों को यह अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है। निगम अधिकारी इसे जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं।

कचरा खाली जगह पर डालते हैं

किलेदार व्यवस्था के तहत जिन क्षेत्रों में सफाई निजी व्यक्ति द्वारा की जा रही है, वहां झाडू़ लगाकर वह कचरा किसी भी खाली जगह पर डाल देते हैं, जिससे वहां गंदगी बनी रहती है। शहर में मुरार, डीडी नगर के आसपास के क्षेत्रों में, कुंज विहार, बलराम नगर, रचना नगर, नाका आदि क्षेत्र में यह व्यवस्था चल रही है। इन क्षेत्रों में निगम द्वारा झाडू नहीं लगाई जाती है। अगर निगम सफाईकर्मी इन क्षेत्रों में झाडू लगाने की कोशिश भी करें तो यह लोग आने नहीं देते हैं और झगड़े पर उतारू हो जाते हैं। विवाद की स्थिति के कारण इन क्षेत्रों में कोई दूसरा घुसता ही नहीं है।

इनका कहना है.

नगर निगम ने बिना सोचे-समझे सफाई कर जनता पर थोपा दिया है। सोमवार को संभागीय आयुक्त को सफाई कर वापस लेने के लिए ज्ञापन सौंपेंगे। अगर सफाई कर वापस नहीं लिया गया, तो मंगलवार को जनसुनवाई में धरना देंगे।

-बृजेश गुप्ता

निवर्तमान पार्षद

लोगों को पहले से ही सुविधाएं नहीं मिल रही है। ऊपर से एक नया बोझ सफाई कर के नाम पर डाला गया है। अधिकारी पावर का गलत इस्तेमाल कर रहे हंै। हमने सफाई शुल्क को लेकर परिषद में भी विरोध किया था। लेकिन कार्यकाल पूरा होने के बाद इसे लागू करना बहुत गलत है।

-धर्मेन्द्र राणा

निवर्तमान पार्षद

प्रशासक को सफाई शुल्क (यूजर चार्ज) में संशोघन करना चाहिए। इसमें एक हजार फुट तक में बने मकानों के साथ छोटे-छोटे व्यवसायिक क्षेत्रों को इसमें शामिल नहीं करना चाहिए।

-कृष्ण राव दीक्षित

निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष

यह सब कांग्रेस की देन है। संपत्तिकर के नाम पर पहले से ही लोगों से कर वसूला जा रहा है। यह अत्याचार है, पहले निगम अपनी व्यवस्थाएं सुधारे उसके बाद ही आम जनता से मुंह मांगा टैक्स वसूले।

-जगत सिंह कौरव

निवर्तमान पार्षद

स्वच्छ एवं सुंदर हो ग्वालियर, हमारा का नारा देने वाली नगर निगम आम जनता को मूलभूत सुविधा देने में असमर्थ है। भीषण गर्मी में आम जनता को पानी के लिए भटकना पड़ता है, जलकर, संपत्ति कर जैसे मुंह मांगे कर लेने के बाद भी निगम शहर के मतदाताओं को मूलभूत सुविधा देने में फेल है।

-बृजेश गुप्ता

निवर्तमान पार्षद

Updated : 2 Feb 2020 12:13 PM GMT
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स्वदेश डेस्क

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