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मित्र बनना है तो कृष्ण और कर्ण जैसे बनो : पंडित दुबे

श्रीरोकड़िया सरकार धाम हनुमान मंदिर पर चल रही संगीतमयी श्रीमदभागवत कथा का समापन

मित्र बनना है तो कृष्ण और कर्ण जैसे बनो : पंडित दुबे
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ग्वालियर। छत्री बाजार स्थित श्रीरोकड़िया सरकार धाम हनुमान मंदिर पर चल रही सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमदभागवत कथा का सोमवार को समापन हो गया। कथा के अंतिम दिन सोमवार को पंडित आशीष दुबे ने मित्रता का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि मित्र बनना है तो कृष्ण और कर्ण की तरह बनो। कृष्ण ने कौरवों की विशाल सेना को छोड़कर पांडवों का साथ दिया और सामने से अर्जुन का साथ देते कृष्ण को देखकर भी कर्ण ने दुर्योधन की मित्रता निभाई। उन्होंने कहा है कि आज लोग हर चीज को परखते हैं लेकिन अपने इष्ट, मित्र और इत्र को कभी नहीं परखना चाहिए। ये कभी आपका साथ नहीं छोड़ते।

होशंगाबाद के मरोड़ा से आये भागवताचार्य कथा व्यास पंडित आशीष दुबे ने समापन वाले दिन प्रदुमन द्वारा शंभरासुर का वध, मणि का कलंक, सत्रजीत द्वारा जामवंती और सत्यभामा से विवाह, सोलह हजार एक आठ विवाह, राजसूय यज्ञ, सुदामा चरित्र, नौ योगेश्वरों की कथा और परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई। सात दिवसीय संगीतमयी भागवत कथा ग्वालियर के प्रसिद्द दाना परिवार द्वारा आयोजित की गई। कथा के मुख्य यजमान श्रीमती कुसुम सक्सेना, जानेमाने साहित्यकार एवं कवि सतीश "अकेला" और उनकी पत्नी श्रीमती शशि सक्सेना हैं।

Updated : 21 Jan 2019 1:32 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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