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कामकाजी महिलाओं को रोजगार देने के लिए बना था हॉकर्स जोन

शहर के बाजारों में सड़क किनारे तथा फुटपाट पर दुकान लगाकर कारोबार करने वाली महिलाओं के लिए नगर निगम ने करीब पांच साल पहले कम्पू स्थित सैकंड बटालियन के पास महिला हॉकर्स जोन का निर्माण कराया था ।

वर्षोंं से वीरान पड़ा महिला हॉकर्स जोन, रात में चलती है शराब पार्टी

ग्वालियर । शहर के बाजारों में सड़क किनारे तथा फुटपाट पर दुकान लगाकर कारोबार करने वाली महिलाओं के लिए नगर निगम ने करीब पांच साल पहले कम्पू स्थित सैकंड बटालियन के पास महिला हॉकर्स जोन का निर्माण कराया था। नगर निगम ने जिस उद्देश्य से महिला हॉकर्स जान को बनाया था, वह पूरा नहीं हुआ। इस हॉकर्स जोन में आज तक कोई महिला दुकानदार अपनी दुकान लगाने नहीं पहुंची, लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी यह महिला हॉकर्स जोन आज वीरान पड़ा है। जहां महिला दुकानदारों की जगह भिखारी या आवारा पशु आराम करते नजर आते हैं।

नगर निगम द्वारा हाथ ठेलों से होने वाले अतिक्रमण को रोकने के लिए नगर निगम ने निगम की खाली पड़ी जमीनों का उपयोग करते हुए वहां हॉकर्स जोन बनाए हैं। जमीनों का निगम ने उपयोग कर हॉकर्स जोन तो बना लिया, लेकिन महानगर में हाथ ठेले आज भी सडक़ों पर खड़े होकर रास्ते को अवरुद्ध कर रहे हैं। नगर निगम सूत्रों के अनुसार महानगर में लगभग आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर हॉकर्स जोन बनाकर तैयार किए गए हैं। इन सभी हॉकर्स जोन में एक दो दिन छोड़ फिर सडक़ों पर आ गए। सूत्र बताते हैं कि सड़कों पर खड़े होने वाले हाथ ठेले , खोमचे वालों से निगम कर्मी और पुलिस कर्मी सड़क पर खडे होने के पैसे वसूल करते हैं। ऐसे में हाथ ठेले वाले अपनी कमाई के चक्कर में हॉकर्स जोन में जाना ही नहीं चाहते हैं।

पूर्व महापौर के कार्यकाल में बना था महिला हॉकर्स जोन

बताया गया है कि पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने कामकाजी महिलाओं के लिए कम्पू स्थित सैकंड बटालियन के पास महिला हॉकर्स जोन बनवाया था। लेकिन उसके बाद से आज तक यह महिला हॉकर्स जोन वीरान पड़ा हुआ है। नगर निगम के अफसरों ने इसमें महिला दुकानदारों को पहुंचाने के लिए कोई ठोश प्रयास ही नहीं किए।

स्मार्ट सिटी तो तब बनेगी, जब ठेले पहुंचेंगे हॉकर्स जोन में

एक ओर जिला प्रशासन और शासन स्मार्ट सिटी बनाने के लिए प्रयासरत हैं लेकिन नगर निगम प्रयास के बाद भी हाथ ठेले वालों को हॉकर्स जोन में नहीं पहुंचा पा रहे हैं। अब वस्तु स्थिति देखी जाए तो हॉकर्स जोन की स्थिति भी कोई ज्यादा बेहतर नहीं है। बिना योजना के निगम ने हॉकर्स जोन बना तो दिए वहीं उनमें कोई भी सुविधाएं नहीं है। वहां ना तो हाथ ठेले वालों को पीने के पानी की सुविधा है और ना ही शौचालय की। ऐसे में हॉकर्स जोन में हाथ ठेले वाले कैसे पहुंचे यह भी एक सवाल है।

असामाजिक तत्वों का रहता है जमावड़ा

महिला हॉकर्स जोन में रात के समय असामाजिक तत्व आकर शराब की बोतलों से अपना कंठ गीला करते है। कहने को तो इसमें गेट भी लगा हुआ है, लेकिन उसके बाद भी असामाजिक तत्व दीवार फांदकर अपनी पार्टी करते है ।

कमाई के लिए सड़क किनारे खड़े होते हैं

हाथ ठेले वालों को सुविधाएं नहीं मिलने से वह भी हॉकर्स जोन में खड़े होने से कतराते हैं। वहीं हाथ ठेले वाले अपनी कमाई के चक्कर में सडक़ पर आ जाते हैं। नगर निगम का मदाखलत का दस्ता कभी कभार हाथ ठेले वालों को खदेड़ देता है उसके बाद भी हाथ ठेले वाले हॉकर्स जोन का अपेक्षा सड़क पर खड़ा होना ज्यादा पसंद करते हैं।

हॉकर्स जोन में गए तो वसूली कैसे हो पाएगी

सूत्र बताते हैं कि निगम कर्मी जब वसूली करते हैं तो वह वसूली हॉकर्स जोन से नहीं हो पाएगी। इसी के चलते वह सड़कों पर ठेला लगाने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं हाथ ठेले वाले अपनी जगह दूसरे को बेच देते हैं।






Updated : 16 Jun 2018 12:43 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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