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सरकार के प्रयासों को पलीता, ग्वालियर में कुपोषित बच्चों की संख्या में आई तेजी

पिछले महीने भर्ती हुए 127 बच्चे, आदिवासी बाहुल्य इलाकों में कुपोषण का प्रभाव ज्यादा - विशेष प्रतिनिधि, स्वदेश वेब

सरकार के प्रयासों को पलीता, ग्वालियर में कुपोषित बच्चों की संख्या में आई तेजी
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- विशेष प्रतिनिधि, स्वदेश वेब

ग्वालियर। मध्य प्रदेश सरकार कुपोषण को मिटाने के लिए कई योजनाएं चला रही है इसमें बच्चों को पौष्टिक पोषण आहार दिए जाने के अलावा उनका निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शामिल हैं , बावजूद इसके ग्वालियर जिले में कुपोषित बच्चों का मिलना जारी है। जानकारी के अनुसार शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में कुपोषण ज्यादा है। हालाँकि महिला एवं बाल विकास विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों का कहना है कि कुपोषण को दूर किये जाने के प्रयास लगातार जारी हैं।

ग्वालियर शहर में मई-जून के महीने में कुपोषण से 3 बच्चों की मौत हो गई, तब सरकार और प्रशासन ने कुपोषण से सख्ती से निबटने के दावे किए थे, लेकिन अब तक हालातों में खास बदलाव नहीं आया है. आदिवासी बाहुल्य, ग्रामीण अंचल के बाद ग्वालियर शहर में भी कुपोषण का दंश बढ़ रहा है। जुलाई महीने में ही ग्वालियर जिले में कुपोषण के शिकार 127 बच्चों को जिले के पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती कराया गया।

जिले के चारों ब्लॉक में पांच पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित हैं। ये हैं मोहना, भितरवार, डबरा, बरई और थाटीपुर। केंद्रों में कुल 66 बिस्तर हैं जहाँ कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम अधिकारी घनश्याम पालीवाल के अनुसार 14 दिन के बैच के हिसाब से कुपोषित बच्चों को केंद्रों में भर्ती किया जाता है। यहाँ उन्हें इलाज के साथ साथ बेहतर पोषण आहार भी दिया जाता है साथ ही माता के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाता है बावजूद इसके कुपोषित बच्चे लगातार भर्ती हो रहे हैं। श्री पालीवाल के अनुसार पिछले तीन महीनों में कुल 321 कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती किया गया है।

ग्वालियर जिले में 1458 आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिनमें 1 लाख 38 हजार 612 बच्चे हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग इन बच्चों को पोषण आहार उपलब्ध कराता है और बच्चों के स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करता है। लेकिन इसके बावजूद शहरी क्षेत्र के साथ साथ आदिवासी, ग्रामीण अंचल में भी बच्चे कुपोषण की चपेट में आ रहे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी राजीव सिंह के अनुसार अब तक 1900 बच्चे अति कम वजन वाले चिन्हित किये जा चुके हैं जिनमें से कुपोषित बच्चों को इलाज भर्ती कराया गया है। उनका कहना है कि ग्वालियर में भितरवार में कुपोषण ज्यादा है जिसकी मॉनिटरिंग जारीहै , लेकिन वे इस बात से भी संतोष जताते हैं कि श्योपुर ,शिवपुरी सहित अन्य पडोसी जिलों की तुलना में ग्वालियर जिला कुपोषण के मामले में बेहतर है।

बहरहाल आंकड़ों की बाजीगरी में मास्टर सरकारी अधिकारी भले ही दूसरे जिलों से तुलना कर खुद को बेहतर बताएं लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं है कि जब प्रदेश सरकार कुपोषण दूर करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है तो जमीनी स्तर पर इसका परिणाम दिखाई क्यों नहीं दे रहा।

Updated : 14 Aug 2018 1:35 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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