नर्सिंग महाविद्यालय : संचालकों ने फर्जी अस्पतालों के सहारे ली अनुमति, सीएमएचओ भी कटघरे में
मामला नर्सिंग महाविद्यालयों का
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ग्वालियर। शहर में अधिकांश नर्सिंग महाविद्यालयों ने अपनी मान्यता बचाने के एक नया तरीका अपना लिया है। शहर के अधिकांश नर्सिंग महाविद्यालय संचालकों ने सीएमएचओ कार्यालय में सांठगांठ कर फर्जी तरीके से अस्पतालों का पंजीयन करा लिया है, जबकि हकीकत यह है कि अधिकांश महाविद्यालयों के पास न तो अस्पताल खोलने के लिए संसाधन हैं और न ही पर्याप्त स्टाफ है। इसको लेकर अब सीएमएचओ पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के नए नियम के अनुरसार जीएनएम, बीएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग महाविद्यालयों को मान्यता लेने के लिए खुद का कम से कम 100 बिस्तर का अस्पताल होना चाहिए, इसलिए जब महाविद्यालयों में ताले पडऩे की नौबत आई तो उन्होंने सीएमएचओ कार्यालय से सेटिंग कर रातों-रात नर्सिंग होम का पंजीयन करा लिया है, लेकिन जब बड़ागांव एवं बेरजा रोड मुरार में अस्पतालों की जांच-पड़ताल की गई तो पता चला कि एक नहीं बल्कि सभी महाविद्यालय संचालकों ने सिर्फ कागजों में ही अस्पताल खोल लिए हैं। बड़ागांव व बेरजा रोड पर कुछ महाविद्यालय तो ऐसे हैं, जिनके अस्पतालों का कुछ अता-पता ही नहीं है।
इसको लेकर जब सीएमएचओ डॉ. मृदुल सक्सेना से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अगर इस तरह से फर्जी अस्पताल संचालित किए जा रहे हैं तो दुबारा जांच कराई जाएगी, जबकि इन अस्पतालों का पंजीयन खुद डॉ. सक्सेना के कार्यकाल में ही हुआ है। ऐसे में अब सीएमएचओ पर यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि उन्होंने किस आधार पर नर्सिंग होम खोलने की अनुमति दे दी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीएमएचओ ने अस्पतालों के पंजीयन के नाम पर नर्सिंग महाविद्यालय संचालकों से अच्छी-खासी रकम वसूली है।
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