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होली 2020 : होली के रंग में रंगे बाजार, जानें होलिका दहन का मुहूर्त

होली 2020 : होली के रंग में रंगे बाजार, जानें होलिका दहन का मुहूर्त
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ग्वालियर। हमारे देश के सभी राज्यों में होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। होली के एक दिन पहले होलिका दहन होता है, जिसे छोटी होली भी कहते हैं, तो दूसरे दिन रंगों की होली होती है, सब एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और रंगोत्सव का आनंद लेते हैं। इस साल 9 मार्च, 2020 पूरे विधि-विधान से पूजा के बाद होलिका दहन किया जाएगा। इसके दूसरे दिन 10 मार्च, २०२० को रंगो की होली खेली जाएगी।

होलिका दहन का मुहूर्त-

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 09 मार्च को दो घंटे तक रहेगा।इस समय में होली जलाने पर समाज में सुख समृद्धि का विस्तार होगा।जोकि शाम 6 बजकर 26 मिनट से रात 08 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।




बाजार सजकर हुए तैयार -

होली के आगमन की आहट के साथ ही रंग-गुलाल एवं पिचकारी से बाजार सजकर तैयार हो गए हैं। रंगो के इस त्यौहार में बाजार भी रंग-बिरंगा दिखाई दे रहा हैं। शहर में कई जगह- जगह रंग-बिरंगी पिचकारियां छोटे बच्चों को आकर्षित कर रहीं हैं। दुकानदार भी पिछली साल से कई आधुनिक पिचकारी एवं अन्य होली की सामग्री के साथ ग्राहकों को लुभा रहे हैं।होली के इस त्योहार में होली की स्पेशल सामग्री के साथ दुकान में बैठे व्यापारियों का मानना है कि अभी जितने ग्राहकों की उन्हें उम्मीद है उतने तो नहीं आ रहे हैं। लेकिन कल से ग्राहकी बढऩे की उम्मीद है।बाजारों में उपलब्ध पिचकारी पचास रूपए से लेकर पांच सौ रूपए तक में उपलब्ध हैं। वहीँ रंग एवं गुलाल की छोटी-बड़ी मात्रा में कई वेराइटीज उपलब्ध हैं।

होली की दन्त कथा -

शास्त्रों के अनुसार,एक समय भारत में असुरराज हिरण्यकश्यप राज करता था। उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था लेकिन हिरण्यकश्यप विष्णु द्रोही था।हिरण्यकश्यप ने पृथ्वी पर घोषणा कर दी थी कि कोई देवताओं की पूजा नहीं करेगा। केवल उसी की पूजा होगी लेकिन भक्त प्रह्लाद ने पिता की आज्ञा का पालन नहीं किया और भगवान की भक्ति लीन में रहा।

हिरण्यकश्यप ने पुत्र प्रह्लाद की हत्या करने की कई कोशिश की लेकिन वह हर बार ही असफल हो गया। इसके बाद उसने योजना बनाई की वह प्रह्लाद वध के लिए अपनी बहिन से सहायता लें। उसने होलिका से मदद मांगी जिस पर होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठने के लिए तैयार हो गई। होलिका को वरदान मिला था कि वह अग्नि से जलेगी नहीं।योजना के तहत निश्चित दिन होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई लेकिन उस दिन एकदम उल्टा हुआ होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया। जिस दिन यह घटना घटी थी उसी दिन हलिका दहन किया जाने लगा। भक्त प्रह्लाद के बचने की ख़ुशी में अगले दिन होली का पर्व मनाया जाने लगा। होलिका दहन सभी द्वेष भाव और पापों को जलाने का संदेश देता हैं।


Updated : 7 March 2020 10:49 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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