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जंगलों में अब जड़ी-बूटी माफिया भी सक्रिय

पवा-पावटा के जंगल से लाई गई जड़ी-बूटी के 10 बोरे जब्त

जंगलों में अब जड़ी-बूटी माफिया भी सक्रिय
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ग्वालियरवन मंडल ग्वालियर के आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों में खनन माफिया के साथ अब जड़ी-बूटी माफिया भी सक्रिय हो गए हैं। इसका खुलासा गतरोज तब हुआ, जब वन अमले ने कैम्पा बोलेरो वाहन से बोरों में भरकर ले जाए जा रहे गुडमार नामक औषधीय पौधे जब्त किए। इस मामले में वन विभाग द्वारा वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मामला गत रविवार का है। इस दिन वन संरक्षक ओ.पी. उचाडिय़ा को सूचना मिली थी कि घाटीगांव सोनचिरैया अभयारण्य की तिघरा गैमरेंज के अंतर्गत पवा-पावटा के जंगल से बड़ी मात्रा में गुडमार नाम औषधीय पौधे एकत्रित कर कैम्पा बोलेरो वाहन में भरकर ले जाए जा रहे हैं। यह सूचना मिलते ही तिघरा गैमरेंज की वन परिक्षेत्र अधिकारी ज्योति छावरिया को दल बल के साथ कार्रवाई के लिए भेजा गया। बताया गया है कि वन अमले ने मौके पर पहुंचकर कैम्पा बोलेरो वाहन से 10 बोरा जब्त किए, जिनमें गुडमार नामक औषधीय पौधे भरे हुए थे। इस पर वाहन व गुडमार के पौधे जब्ती में लेकर चालक कल्लन खां निवासी मोहना को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके खिलाफ भारतीय वन संरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत वन अपराध दर्ज कर उसे न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जमानत पर छोड़ दिया गया। जब्त गुडमार के पौधे झांसी रोड स्थित वन डिपो परिसर में रखवा दिए गए हैं।

यहां बता दें कि सोनचिरैया अभयारण्य में गुडमार सहित अन्य औषधीय पौधे एवं वनस्पतियां बहुतायत में पाई जाती हैं, लेकिन अभयारण्य प्रतिबंधित क्षेत्र होने से इन जड़ी-बूटियों को उखाडऩे पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ है। बावजूद इसके कई लोग चोरी छिपे अभयारण्य क्षेत्र से जड़ी-बूटियां एकत्रित कर बाजारों में बेचने का काम करते हैं, लेकिन वन विभाग ऐसे लोगों पर कम ही ध्यान देता है। लम्बे समय बाद यह पहला मामला है, जब बड़ी मात्रा में गुडमार के पौधे जब्त किए गए हैं।

इन रोगों के इलाज में काम आता है गुडमार

-यह भूख बढ़ाने वाली, मूत्रवर्धक, ठंडक प्रदान करने वाली और टॉनिक के रूप मे उपयोग की जाने वाली औषधीय है।

- इसे एक मुख्य मधुमेह उपचारात्मक जड़ी-बूटी के रूप में उपयोग किया जाता है।

-यह अग्नाशाय से शर्करा को हटा देती है, जिससे अग्नाशय पुन: अपनी स्थिति में आ जाता है।

-यह संचार प्रणाली को उत्तेजित करती है, जिससे मूत्रस्त्राव बढ़ जाता है।

-यह सूजन ग्रंथियों, खांसी और बुखार के इलाज के लिए भी उपयोगी है।

-यह सामान्य सीरम, कोलेस्ट्राल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को बनाए रखने में मदद करती है।

-लम्बी समयावधि तक इस्तेमाल करने से यह शर्करा के स्तर को कम कर देती है।

- इसकी जड़ का पेस्ट या चूर्ण सर्प के काटने के घाव में लगाया जाता है।

-यह जड़ी-बूटी वजन को नियंत्रित और दुरुस्त करती है। रक्त में स्वस्थ वसा के स्तर को बढ़ा देती है। चीनी खाने की लालसा को भी कम करती है।

-यह अपच, कब्ज, पीलिया और कार्डयोपैथी में उपयोगी होती है।

Updated : 2 Nov 2018 1:28 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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