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घर के घी ने बिगाड़ा बाजार का व्यापार

देसी घी के खरीदारों की संख्या हुई कम

घर के घी ने बिगाड़ा बाजार का व्यापार
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ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। आम के आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत एक बार फिर से चरितार्थ हो रही है। ग्वालियर अंचल में अच्छी बारिश होने से चारों ओर हरियाली पसरी हुई है, इसलिए गाय-भैसों को खूब हरी घास खाने को मिल रही है, जिससे पशु पालकों को बाजार से पशु आहार नहीं खरीदना पड़ रहा है और पशु बिना किसी खर्च के अच्छा दूध दे रहे हैं। घरों में आने वाले अच्छे दूध में अच्छी मलाई पड़ रही है। गृहणियों ने भी दूध में से मलाई निकालकर घी बनाना शुरू कर दिया है। घर में ही शुद्ध घी बनने से महिलाओं ने बाजार से घी खरीदना बंद कर दिया है, जिससे घर में मिलने वाले मुफ्त के घी से शहर में देशी घी का बाजार 60 प्रतिशत ठप हो गया है। वर्तमान में शहर में घी मालनपुर, धोलपुर और मथुरा से आ रहा है। वहीं फैक्ट्रियों में घी बनने का कार्य सितम्बर के अंतिम माह से शुरू हो जाएगा।

ऐसे बनता है नकली घी

प्राप्त जानकारी के अनुसार नकली घी बनाने में रंग, एसेंस, पॉम ऑयल और वनस्पति घी का उपयोग किया जाता है। इसमें खुशबू के लिए थोड़ा सा देशी घी डाल दिया जाता है। इस प्रकार का नकली घी बनाने में एक किलो में 60 से 100 रुपए का खर्च आता है, जिसे दुकानदार 350 रुपए प्रति किलो में बेचते हैं।

नकली घी के सेवन से हो सकता है कैंसर

बाजार में मिलने वाले इस प्रकार के नकली घी से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इस घी के इस्तेमाल से किडनी, लीवर और दिल पर असर पड़ता है, जबकि घर के शुद्ध घी के सेवन से किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं होती है और चेहरे पर चमक आती है।

शुद्ध घी बाजार में 450 रुपए किलो

बाजारों में कंपनियों द्वारा शुद्धता के नाम पर बेचा जाने वाला देशी घी 310 से 370 रुपए, डेयरी संचालकों द्वारा बेचा जाने वाला घी 450 से 500 रुपए और किसानों द्वारा बेचा जाने वाला घी लगभग 600 से 700 रुपए प्रति किलो है। वहीं गाय के दूध का घी तो और भी महंगा है। इसके बाद भी घी शुद्ध है? इसकी कोई गारंटी नहीं है। कई घी कारोबारियों द्वारा दूध में से क्रीम निकालकर और बचे दूध में रिफाइंड आदि मिलाकर नकली घी बेचा जा रहा है, जो शरीर के लिए बेहद ही खतरनाक है।

घर का शुद्ध देसी घी 600 रुपए किलो

इस समय गाय-भैंस जैसे पशु खूब दूध दे रहे हैं। डेयरियों में गाय और भैंस का शुद्ध दूध 50 से 60 रुपए प्रति लीटर में सहज उपलब्ध है। घर में एक लीटर दूध में से 60 से 70 ग्राम देसी घी निकल आता है, जिसकी कीमत 600 रुपए प्रति किलो के आसपास है। इसके बाद बचे दूध का उपयोग दही, चाय और छाछ में किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में गृहणियों ने बाजारों से घी खरीदना बंद कर दिया है और वे घर में ही घी बना रही हैं। घी की मांग कम होने से घी का कारोबार 60 प्रतिशत तक कम हो गया है।

इनका कहना है

'शुद्ध घी की मानक क्षमता 33 आरएम होती है, जबकि बाजार में मिलने वाला घी 28 एमएम है। दूध का उत्पादन अच्छा होने के कारण गृहणियां घरों में ही घी बना रही हैं, जिससे बाजार में 50 से 60 प्रतिशत घी का कारोबार ठप हो गया है।Ó

गुलाबचन्द

देशी घी विक्रेता

'हम कितना भी शुद्ध घी दें, पर लोग विश्वास नहीं करते हैं। हम दूध में से घी निकालकर शेष दूध का उपयोग दही और छाछ बनाने में करते हैं। शेष दूध को पाउडर बनाने के लिए बेच देते हैं, जिससे हम 450 से 500 रुपए किलो के भाव में घी बेच देते हैं।Ó

दिलीप अग्रवाल

डेयरी संचालक

'डेयरी पर 50 रुपए लीटर की दर से अच्छा दूध मिल रहा है। दूध को फ्रिज में रखने से अच्छी मलाई पड़ जाती है, जिससे घी बन जाता है और बाजार से खरीदे जाने वाले घी के पैसे को दूध खरीदने में खर्च कर देते हैं, जिससे घर में बच्चों के लिए शुद्ध घी बन जाता है।Ó

विनीता शर्मा, गृहणी

Updated : 19 Sep 2018 2:43 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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