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दावेदारों से मोटा चंदा : आखिर कहां जाए कार्यकर्ता!

दावेदारों से मोटा चंदा : आखिर कहां जाए कार्यकर्ता!
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ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। प्रदेश में कांग्रेस पिछले 15 साल और देश में 4 साल से सत्ता से दूर है। ऐसे में कांग्रेस दोनों ही जगह सत्ता में आने के लिए छटपटा रही है। ग्वालियर में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के दौरान पिछले सात दिन से ऐसे-ऐसे घटनाक्रम घटित होते गए,जिसे लेकर कांग्रेस में भीतर तक गहन चिंता की लकीरें हैं।

श्री गांधी के ग्वालियर दौरे के बाद से ही जिला कांग्रेस कार्यालय को सारी गतिविधियों से दरकिनार कर सारे निर्णय जयविलास पैलेस में होने लगे।इसके लिए सबसे पहले विभिन्न विधानसभाओं के 25 दावेदारों को बुलाकर एक बैठक आयोजित की गई और सभी से एक से लेकर डेढ़ लाख रुपए मांगे जाने लगे। कांग्रेसियों का कहना है कि उनसे कहा गया कि राहुल गांधी के दौरे पर बड़ा खर्चा होना है,इसलिए पैसों की सख्त जरूरत है।इसके बाद एक और बैठक हुई,जिसमें दावेदारों से दस-दस हजार रुपए की मांग की गई। इतना ही नहीं दौरे से ठीक एक दिन पहले जब अखबारों को विज्ञापन देने की बात आई, तब फिर से इन दावेदारों बुलाकर कहा गया कि आप लोग अपने निजी विज्ञापन न दें,सारा पैसा जयविलास पैलेस में आकर जमा कराएं।एक दर्जन से अधिक दावेदारों से एक से लेकर डेढ़ लाख रुपए मांगने पर जो संपन्न थे वे तो वहां पहुंच गए, लेकिन कार्यकर्ता की हैसियत से जो लोकप्रिय है,वह वहां नहीं जा पाए। फिर जिसने पैसा दिया उसी का फोटो और नाम विज्ञापन पर चस्पा हुआ। इससे बात वहीं आ गई कि जो पैसा देगा वही आगे बढ़ पाएगा।

यहां बता दें कि ग्वालियर यात्रा का प्रभारी पूर्व विधायक गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, पर्यवेक्षक वर्षा गायकवाड और महल से जुड़े अनिल मिश्रा को बनाया गया था। दावेदारों से चंदा लेने का काम भी इन लोगों की अगुवाई में किया गया। लेकिन इस चंदाखोरी के फेर में लगभग 50 लाख का चंदा होने की बात सामने आई है,जबकि यदि खर्च की बात की जाए तो 15 से 20 लाख रुपए ही खर्च हुए होंगे। क्योंकि इस चंदे से सिर्फ दो खर्चे हुए। एक फूलबाग की सभा और दूसरा विज्ञापन।फूलबाग की सभा 10 लाख और विज्ञापनों पर 5 से 7 लाख खर्च हुए होंगे। ऐसे में इतना मोटा चंदा क्यों और किसके इशारे पर हुआ यह कांग्रेस में अंदर खाने तक चर्चा में है।

यहां बता दें कि पहले भी कांग्रेस में यह बात उठी थी कि जो दावेदार होंगे,उनसे कांग्रेस द्वारा पचास हजार रुपए जमा कराए जाएंगे। लेकिन इसका भारी विरोध होने पर इस निर्णय को वापस लेना पड़ा था। यहां एक महत्वपूर्ण बात गौर करने वाली है कि सांसद एवं प्रदेश चुनाव अभियान समिति के संयोजक ज्योतिरादित्य सिंधिया को बेहद साफ सुथरी छवि का माना जाता है, ऐसे में उनके क्षेत्र में ही उनके जयविलास पैलेस में इस तरह से दावेदारों को बुलाकर पैसों की मांग की गई, तो क्या यह सब उनकी जानकारी में है,या उनके नीचे के लोग उन्हें अंधेरे में रख ऐसा कर रहे हैं। इस पूरे एपिसोड में कांग्रेस में अहम योगदान अदा करने वाले कुछ लोगों को पूरी तरह से दरकिनार करके रख दिया गया। इनमें प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह, पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव, रश्मि पवार शर्मा संजय यादव आदि प्रमुख हैं।इन्हें विज्ञापन में स्थान नहीं दिया गया। इसी तरह शहर में नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने जो पोस्टर एवं बैनर टांगे,उनमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के चेहरे कहीं दिखाई नहीं दिए। यानीकि समन्वय की बात कर सत्ता हथियाने में लगी कांग्रेस में गुटबाजी पूरे चरम पर है। ऐसा ग्वालियर में राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे में साफ दिखाई दिया।

Updated : 16 Oct 2018 3:58 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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