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बिना एनओसी निगम सीमा में धड़ल्ले से चल रहा है पत्थर कारोबार

नगर निगम के वार्ड क्रमांक 63 और 64 में पुरानी छावनी थाने के ठीक पीछे 30 से अधिक स्टोन इंडस्ट्रीज नगर निगम के अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना धड़ल्ले से चल रही हैं।

ग्वालियर । नगर निगम के वार्ड क्रमांक 63 और 64 में पुरानी छावनी थाने के ठीक पीछे 30 से अधिक स्टोन इंडस्ट्रीज नगर निगम के अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना धड़ल्ले से चल रही हैं। खास बात यह है कि 5-10 हजार वर्ग फीट भूमि का डायवर्सन कराकर पत्थर कारोबारी इससे कई गुना अधिक भूमि पर अपना कारोबार संचालित कर रहे हैं। पुरानी छावनी थाने के ठीक पीछे स्थित स्टोन इंडस्ट्रीज करीब 20 वर्ष से यहां संचालित है। पूर्व में इंडस्ट्री संचालकों ने ग्राम पंचायत की एनओसी लेकर अपना कारोबार शुरू किया था, लेकिन करीब तीन वर्ष पूर्व यह क्षेत्र नगर निगम सीमा में शामिल हो गया है।

नगर निगम सीमा में स्थित किसी भी औद्योगिक इकाई को नगर निगम का अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना आवश्यक है। इतना ही नहीं इन्हें अनापत्ति प्रमाण पत्र की शर्तों में शामिल मानकों का पालन भी करना पड़ेगा। लेकिन नगर निगम के अनापत्ति प्रमाण पत्र की चिंता किए बिना पत्थर कारोबारी प्रतिदिन करोड़ों रुपये कीमत के पत्थर को टाइल्स बनाकर विदेशों में भेज रहे हैं। खास बात यह है कि यहां स्थित किसी भी संस्थान द्वारा न तो वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय अपनाए जा रहे हैं, न ही इनके पास पत्थरों को काटने से निकलने वाले खराब पत्थर और धूल को जमा करने का स्थान मौजूद है।

इस कारण पत्थर कटिंग के बाद बचने वाले पत्थर के कचरे और धूल को आसपास के गांवों में सड़क किनारे, गड्ढों में फैंक दिया जाता है। सड़कों पर पड़ी धूल ग्रामीणों और राहगीरों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 3 से सटे शहर के प्रवेश मार्ग पर उड़ती पत्थरों की धूल से होने वाला प्रदूषण शहर की छवि को धूमिल कर रहा है।

बंजर हो रही है ग्रामीणों की कृषि भूमि

पुरानी छावनी थाने के पीछे जिस स्थान पर करीब 30 पत्थर इंडस्ट्रीज निगम के अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना संचालित हैं, इन्होंने प्रदूषण मानकों को भी खूंटी पर टांग रखा है। स्टोन कटिंग की भारी मशीनों की आवाज निर्धारित मानकों से कहीं अधिक होकर ध्वनि प्रदूषण कर रही हैं। वहीं इंडस्ट्रीज में पत्थरों की कटिंग से निकली पत्थर की धूल अव्यवस्थित रूप से सड़कों, खुली भूमि और गड्ढों में फैंकी जा रही है। पत्थर की यह धूल उड़कर ग्रामीणों के खेतों में जम रही है, जो ग्रामीणों के खेतों को बंजर बना रही है। पत्थर कारोबारियों ने क्षेत्र की शासकीय भूमि और गड्ढों में भी पत्थरों के टुकड़े और धूल जमा कर दिए हैं। इस कारण भूमि का रीचार्जिंग सिस्टम भी प्रभावित हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के घूसखोर अधिकारी को प्रतिमाह रिश्वत देकर यह धड़ल्ले से अपना कारोबार कर रहे हैं।

रोक के बावजूद बर्बाद हो रहा है हजारों लीटर पानी

ग्वालियर में पानी की कमी के चलते किसी भी प्रकार की औद्योगिक इकाई अथवा संस्थान में पानी की बर्बादी पर जिलाधीश द्वारा रोक लगाई गई है। लेकिन जिलाधीश का आदेश इन पत्थर कारोबारियों पर लागू नहीं हो रहा है। गहरी बोरिंग से प्रतिदिन हजारों लीटर पानी निकालकर यह पत्थर कटिंग के लिए उपयोग कर रहे हैं। थाने के पीछे स्थित होने के बावजूद कलेक्टर के आदेश का पालन न तो पुलिस करा रही है और न ही संबंधित अधिकारियों को इसकी चिंता है।

स्टोनपार्क में भी जमे यहां से भी नहीं हटे

पुरानी छावनी थाने के पीछे स्थित स्टोन इंडस्ट्रीज को स्थाई स्थान देने के लिए शासन ने स्टोन पार्क स्थापित किया था। स्टोन पार्क में करीब आधा सैकड़ा पत्थर कारोबारियों ने अपनी इंडस्ट्रीज स्थापित की। पुरानी छावनी में स्टोन इंडस्ट्री चला रहे कोटा, बाड़ी बसेड़ी, धौलपुर क्षेत्र के अधिकांश कारोबारियों ने स्टोन पार्क में भूमि नहीं खरीदी थी। जबकि 7-8 स्थानीय कारोबारियों ने स्टोन पार्क में भी भूमि लेकर अपना कारोबार जमा लिया। यह स्थानीय कारोबारी स्टोन पार्क में भी अपना कारोबार कर रहे हैं और पुरानी छावनी में भी अपना कारोबार फैलाए हैं।

इनका कहना है

"बिना एनओसी नगर निगम सीमा में स्टोन इंडस्ट्रीज कैसे चल रही है मैं दिखवाता इनके द्वारा लायसेंस नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, इस संबंध में उद्योग विभाग हमें लिखेगा तो हम इस पर भी कार्रवाई करेंगे ।

विनोद शर्मा , नगर निगम आयुक्त ग्वालियर

'नियम विरुद्ध पत्थर इंडस्ट्रीज के संचालन, अवैध कॉलोनी, अवैध वेयर हाऊस निर्माण की शिकायत कई बार अधिकारियों से कर चुका हँू। पत्थर की धूल मेरे क्षेत्र के किसानों की फसलें बर्वाद और जमीन बंजर बना रही है। मैं खुद इनसे मना करने गया था, तो लडऩे को तैयार हो जाते हैं। शिकायत के अलावा हम और क्या कर सकते हैं। अधिकारी रिश्वत लेकर मौन बैठ जाते हैं।

सुनीता दिनेश लोधी, पार्षद वार्ड क्र. 63


'पुरानी छावनी के स्टोन इंडस्ट्रीज संचालकों ने पूर्व में ग्राम पंचायत की एनओसी ली थी, नगर निगम की एनओसी तो किसी के पास नहीं है। कटिंग के बाद बचे हुए पत्थर के टुकड़ों और धूल को हम गड्ढों में व्यवस्थित डालते हैं।"

महेन्द्र कुमार जैन (पप्पू), स्थानीय पत्थर कारोबारी








Updated : 19 Jun 2018 2:22 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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