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चित्रकूट पहुंचे शिवराज ने पीडि़त परिजनों से की मुलाकात, ट्वीट कर साझा की मन की व्यथा

चित्रकूट पहुंचे शिवराज ने पीडि़त परिजनों से की मुलाकात, ट्वीट कर साझा की मन की व्यथा
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भोपाल। चित्रकूट में जुड़वा बच्चों की फिरौती लेने के बाद हत्या के मामले में जिले में मातम का माहौल है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार देर रात चित्रकूट पहुंचकर पीडि़त परिवार को सांत्वना दी। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पीडि़त परिजनों के घर पहुंचे। परिजनों से बातचीत कर उन्हें ढांढस बधाया।

पीडि़त परिवार से मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने रविवार देर रात अपने मन की व्यथा को ट्वीटर के जरिए साझा किया। एक के बाद लगातार कई ट्वीट करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने दोषियों पर कढ़ी कार्रवाई करने की मांग की साथ ही सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट कर लिखा 'अभी प्रियांश और श्रेयांश दोनों बेटों के पिता जी से मिलकर आ रहा हूं। अंर्तआत्मा रो रही है, मन दर्द से भरा हुआ है आखिर कोई इतना हृदयहीन कैसे हो सकता है कि मासूम बच्चों को जिनके पिता ने उन्हें बचाने के लिए फिरौती दे दी थी, उनको मारने में हाथ भी न कांपे। मानवता शर्मसार हुई है, संवेदनाएं मर गई हैं। जब उनके पिता का दर्द देखा तो नि:शब्द हो गया, कहने को शब्द नहीं थे। पिता की एक ही मांग है कि अपराधियों को ऐसी सजा दी जाये कि फिर कोई दूसरे बच्चे प्रियांश और श्रेयांश की तरह तड़पा-तड़पा कर न मारे जायें। प्रियांश और श्रेयांश के हत्यारों पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलना चाहिए और एक ही सजा इस अपराध की हो सकती है-मृत्युदण्ड।

प्रदेश की सरकार और कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए शिवराज सिंह चौहान ने अन्य ट्वीट कर लिखा 'तेरह दिन पूर्व स्कूल बस से अपहृत बच्चे आखिर पुलिस क्यों नहीं ढूंढ पाई? प्रभारी मंत्री, बच्चे सुरक्षित हैं, जल्द रिहा हो जायेंगे, यह बयान देते रहे। पुलिस ढूंढने का ढोंग करती रही और अंतत: बच्चे मारे गये। क्या इनमें से किसी का अपराध नहीं है, इसकी भी जांच होनी चाहिए। यह पता लगने के बाद कि बच्चे अब नहीं रहे, आईजी रीवा का यह कहना कि पार्टी विशेष का झण्डा लगा हुआ था, जो उन्हें ले गये। किसी संगठन विशेष से जुड़े हुए ये यह कहना भी सिद्ध करता है कि घटना को किसी और दिशा में मोड़ दो, ताकि भ्रम बना रहे और अपनी असफलता को छिपा सकें। उसी तरह के बयान का प्रभारी मंत्री का देना क्या सिद्ध करता है? क्या ऐसी घटना पर भी घटिया राजनीति की जायेगी। क्या सरकार की सोच इतनी निकृष्ट हो सकती है, अपराधी की कोई जाति, धर्म या पार्टी नहीं होती, अपराधी सिर्फ अपराधी होता है। फिर वो क्यों नहीं पकड़े गये? इन तथ्यों की भी जांच हो। सरकार तबादलों को छोड़, कानून और व्यवस्था को बनाने में जुटे। अपराधियों पर नकेल कसे ताकि फिर कोई मासूम अपराधियों का शिकार न बने। सोना चाहता हूं, लेकिन आंखों में नींद नहीं है, मन बेचैन है, कैसे शांति पाऊं, यही सोच रहा हूं!

Updated : 25 Feb 2019 11:02 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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