Home > राज्य > मध्यप्रदेश > भोपाल > कर्ज माफी का दांव बना कमल नाथ की मुसीबत

कर्ज माफी का दांव बना कमल नाथ की मुसीबत

कर्ज माफी का दांव बना कमल नाथ की मुसीबत
X

पूर्व विधायक जीतू जिराती बोले लोकसभा चुनाव बाद भाजपा का मुख्यमंत्री होगा

विशेष संवाददाता भोपाल

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए संजीवनी बनी कर्जमाफी अब गले की फांस बन गई है। दस दिन में वचन पूरा करने वाली सरकार ढाई महीने में भी सभी किसानों का कर्जा माफ़ नहीं कर पाई। अब यह विपक्ष के लिए चुनावी मुद्दा बन गया है।

लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही राजनीति दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस के लिए अब यही गले की फांस बन गया है। आचार संहिता के कारण कर्जमाफी की प्रक्रिया रुक गई है और भाजपा इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने में जुट गई है। पूर्व विधायक और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने कर्जमाफी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में भाजपा का मुख्यमंत्री होगा। जीतू के इस बयान के बाद कांग्रेस में हलचल पैदा हो गई है, तो राजधानी के राजनीतिक गलियारों में भी आचार संहिता के बाद निर्मित हुई नई परिस्थितियों को लेकर राजनीति के पंडि़त अपना-अपना गुणा-भाग लगाने में जुट गए हैं।

सर्वविदित है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ऐलान किया था कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो दस दिन के अंदर किसानों का दो लाख का कर्जा माफ किया जाएगाए ऐसा न कर पाने पर दस दिन के बाद मुख्यमंत्री बदल देंगें। राहुल के बयान का प्रदेश में जबरदस्त असर हुआ और कांग्रेस की 15 साल का वनबास काटने के बाद सत्ता में वापसी हुई। मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ग्रहण करते ही कमलनाथ ने कर्जमाफी की फाइल न केवल हस्ताक्षर किए बल्कि बकायदा आदेश जारी कर मध्यप्रदेश के किसानों के दो लाख तक का कर्ज माफ करने की बात कही गई। किसानों से फॉर्म भरवाए गए और कर्जमाफी की बात कही, लेकिन ढाई माह में भी सरकार किसानों का कर्ज माफ़ नहीं कर पाई। अब आचार संहिता लगने के कारण किसानों की कर्जमाफी की प्रक्रिया अटक गई है। सरकार ने किसानों को मोबाइल संदेश(मैसेज) भेजकर अब लोकसभा चुनाव के बाद कर्जमाफी करने की बात कही है, इसको लेकर भाजपा ने सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है।

नाथ को पता था

मुख्यमंत्री कमलनाथ को विधानसभा चुनाव के समय ही इस बात का आभास था कि किसानों के कर्ज माफ करना इतना आसान नही है, लेकिन वह करते भी क्या उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उनके सामने दूसरा कोई विकल्प भी तो नही छोड़ा था। दरअसल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को खुद इस बात का भरोसा नही था कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बन जाएगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनके द्वारा दस दिन में किसानों के कर्ज माफी का ऐलान कर दिया गया, जो अब मुख्यमंत्री कमलनाथ के गले की फांस बन गया है।

जिराती ने उठाए सवाल

भाजपा के पूर्व विधायक और पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने कर्जमाफी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में भाजपा का मुख्यमंत्री होगा। जिराती ने ट्वीट कर लिखा है कि चलो किसान भाइयों करो मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री बदलने की तैयारी क्योकि 2 लाख का कर्जा तो माफ़ हुआ नही है। लोकसभा बाद भाजपा का मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश में होगा । यह पहला मौका नही है इसके पहले भी भाजपा नेता इस तरह का दावा कर चुके है।

लोकसभा चुनाव में भी कर्ज माफी होगी मुद्दा

विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी किसान प्रमुख मुद्दा रहेगा। राजनीतिक दलों ने किसान की दुर्दशा के मुद्दे को लेकर एक-दूसरे की घेराबंदी करने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस जहां कर्जमाफी को लेकर किसान के बीच जाने को लालायित है, वहीं भाजपा कांग्रेस के कर्जमाफी के दावे की हवा निकालने का कोई मौका नही चूक रही है, तो दूसरी ओर भाजपा मोदी सरकार की किसान समृद्धि योजना की राशि मध्यप्रदेश के किसानों के खातों में नहीं पहुंचने को लेकर चुनाव में कांग्रेस की घेराबंदी करने में जुट गई है। लोकसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद आचार संहिता लागू हो गई है। अब भाजपा ने कांग्रेस सरकार से हिसाब मांगना शुरू कर दिया है कि कितने किसानों का कर्जा माफ किया है। भाजपा लोकसभा चुनाव में कर्जमाफी को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है।

Updated : 12 March 2019 4:12 PM GMT
author-thhumb

Naveen Savita

Swadesh Contributors help bring you the latest news and articles around you.


Next Story
Top