टेक्नोलॉजी से प्रभावित नहीं हो सकती ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता
X
विशेष संवाददाता ♦ भोपाल
आज टेक्नोलॉजी बहुत विकसित हो गई है। हर मोबाइल एक अखबार बन चुका है। मोबाइल पर खबरें पढ़ी जा सकती हैं। सवाल उठता है क्या ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता के लिए कोई गुंजाईश है? टेक्नोलॉजी पत्रकारिता में मदद कर सकती है, जीवन मूल्य नहीं बदल सकती। पत्रकारिता का जीवन मूल्य टेक्नोलॉजी के बदलने से नहीं बदलता। वह तो स्थायी है।
यह बात वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने रविवार को विश्व संवाद केन्द्र द्वारा मामा माणिकचन्द वाजपेयी के चित्र के लोकार्पण समारोह अवसर पर 'ध्येयनिष्ठ पत्रकारित' विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही। श्री राय ने कहा कि ध्येय निष्ट पत्रकारिता के कई रूप हैं। मानसिक भी है, मनोवैज्ञानिक भी, बौद्धिक भी और सामाजिक भी है। उन्होंने कहा कि आज कोई ध्येय निष्ट पत्रकारिता करना चाहता है, तो उसे उस राज्य व्यवस्था को बदलने की कोशिश करनी चाहिए। जिस राज्य व्यवस्था में आज हम हैं, वह अंग्रेजों की बनाई हुई है। महात्मा गांधी कुछ दिन और जीवित रहते तो वे नेहरू की सरकार के खिलाफ जंग छेड़ते जो अंग्रेजों से भी बड़ी होती। इसकी बजह महात्मा गांधी जानते थे कि जो राज्य व्यवस्था हमारे संविधान से बनी है, वह अंग्रेजों से देन है। उसमें भावुकता कुछ भी नहीं है। मामा माणिकचंद वाजपेयी की ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक इस देश में लोकतंत्र रहेगा, लोकतंत्र के काले दिनों को जब भी लोग याद करेंगे, तब लोग याद करेंगे किउ माणिक चन्द्र वाजपेयी जैसा कोई पत्रकार हुआ है। उन्होंने आह्वान किया कि मामाजी के नाम को जिंदा रखना चाहते हो तो हमारा फर्ज है कि नई पीढ़ी को मामा जी के बारे में बताएं। मामाजी बड़े सम्पादकों की उन परंपराओं में थे, अपनी बात रखने, लिखने के लिए जेल के दरवाजे जिनके लिए खुले थे। मप्र सरकार द्वारा मामा माणिकचंद वाजपेयी के नाम पर शुरू किए गए पत्रकारिता सम्मान को मप्र की कमलनाथ सरकार द्वारा बंद कर दिए जाने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि मामाजी किसी यह वही कांग्रेस है जिसने संविधान को ध्वस्थ किया। संविधान को ध्वस्थ करने वाले संजय गांधी के गुर्गे से ऐसी आशा करना भी बेमानी है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि मामा माणिकचंद वाजपेयी पत्रकारिता के आदर्श प्रतिनिधि थे। प्रदेश सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए कि मामाजी के नाम पर बंद किया गया पुरस्कार पुन: चालू किया जाए। कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव ने कहा कि ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता में राष्ट्र और मातृभूमि केन्द्र के रूप में होती है। वह सब मूल्य जिन्हें हम जीवन मूल्य कहते हैं, मानव मूल्य कहते हैं। उन मूल्यों की स्थापना के लिए जो प्रयत्न करती है,वह ध्येय निष्ठ पत्रकारिता कहलाती है। प्रदेश सरकार पर तीक्ष्ण व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार में शरीर तो कमलनाथ का है, लेकिन आत्म दिग्विजय सिंह की घुसी है। सिंधिया की आत्मा इस सरकार में घुसने का प्रयास कर रही है। ऐसी स्थिति में कमलनाथ सरकार प्रेतवाधा से पीडि़त हो गई है। कार्यक्रम के आरंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। अतिथियों का शॉल श्रीफल भेंटकर स्वागत किया गया। अतिथियों ने इस अवसर पर मामा माणिकचन्द वाजपेयी के चित्र का अनावरण किया। इस अवसर पर स्मारिका 'भारत में अवैध नागरिकता समस्या चुनौती और समाधान' का विमोचन किया। कार्यक्रम के अंत में विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष लक्ष्मेश महेश्वरी ने किया। वंदेमातरम् के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
Naveen Savita
Swadesh Contributors help bring you the latest news and articles around you.